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    कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा मामले में Supreme Court ने फैसला सुरक्षित रखा

  • June 22, 2021

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार की ओर से कोरोना से मरने वालों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग करनेवाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan) की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों को अपनी लिखित दलीलें तीन दिनों के अंदर दाखिल करने का निर्देश दिया।

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से कहा कि मृत्यु प्रमाणपत्र (Death Certificate) देने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। कोरोना से मृत्यु के जिन मामलों में प्रमाणपत्र में सही कारण नहीं लिखा गया, उसे सुधारने की भी व्यवस्था बने। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर किसी त्रासदी में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो तो सरकार छोटी संख्या वाली त्रासदी के जितना मुआवजा (compensation) हर व्यक्ति को कैसे दे पाएगी। तब याचिकाकर्ता और वकील गौरव बंसल ने कहा कि चार लाख रुपये न सही लेकिन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार कुछ तो स्कीम बनाए। यह कानूनन उसका कर्तव्य है।



    बता दें कि सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आपदा राहत की परिभाषा अब पहले से अलग है। जो नीति पहले थी उसमें प्राकृतिक आपदा के बाद राहत पहुंचाने की बात थी। अब इसमें आपदा से निपटने की तैयारी भी शामिल है। तब कोर्ट ने कहा कि अगर मुआवजा तय करने का ज़िम्मा राज्यों पर छोड़ा गया तो देश के अलग-अलग हिस्से में अलग मुआवजा होगा।

    मेहता ने कहा कि प्रवासी मज़दूरों को विशेष ट्रेन चला कर मुफ्त में उनके राज्य भेजना, उन्हें ट्रेन में भोजन देना, गरीबों को राशन देना, ऑक्सीजन उत्पादन (Oxygen Production) बढ़ाना, उसके ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करना, यह सब आपदा प्रबंधन का ही हिस्सा है। 22 लाख हेल्थ केयर वर्कर्स का बीमा भी इसी के तहत किया गया है। मेहता ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत की जा रही व्यवस्था में अंतर है। कुछ राज्यों ने अपनी तरफ से मौत के लिए मुआवजे की घोषणा की है लेकिन यह आपदा राहत कोष से नहीं। आकस्मिक निधि, मुख्यमंत्री राहत कोष आदि से है। तब कोर्ट ने मेहता से कहा कि आप अपने लिखित नोट में इन बातों का ब्यौरा दें। कोर्ट ने मेहता से पूछा कि क्या राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने फैसला किया है कि मुआवजा नहीं दिया जा सकता। तब मेहता ने कहा कि इस बारे में अभी कोई सूचना नहीं है। लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता कि हमारा केस यह है ही नहीं कि सरकार के पास पैसा ही नहीं है। हमारा केस यह है कि हम आपदा प्रबंधन से जुड़ी दूसरी बातों पर ज़्यादा फोकस कर रहे हैं।


    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कोरोना से मरने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये का मुवावजा देने में असमर्थता जाहिर की है। केंद्र ने कहा है कि केंद्र और राज्य आर्थिक दबाव से जूझ रहे हैं। अगर ये मुवावजा राज्य देते हैं तो स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड का पूरा पैसा इस पर ही खर्च हो जाएगा और राज्य आगे के कोरोना के खतरे के मद्देनजर तैयारी नहीं कर पाएंगे। सरकार ने 4 लाख का मुवावजा देने में तो असमर्थता जाहिर की है। पर इस हलफनामे में ये साफ़ किया है कि कोविड से मौत के हर केस में डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह कोविड ही दर्ज होगी, फिर भले ही उस शख्स को पहले से गंभीर बीमारी रही हो, सिवाय उन मामलों के जिनमें मौत की वजह एकदम दूसरी हो।

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