इंदौर।कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा परेशानी ऑक्सीजन को लेकर हुई, जिसके अभाव में मरीजों ने दम भी तोड़ा। हालांकि इंदौर कलेक्टर और उनकी टीम ने जबरदस्त ऑक्सीजन का मैनेजमेंट किया और देश के बड़े शहरों की तुलना में इंदौर में ऑक्सीजन को लेकर कोई बड़ी मुसीबत भी नहीं आई। अब ऑक्सीजन को लेकर इंदौर को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और 105 मैट्रिक टन ऑक्सीकी व्यवस्था की जा रही है। 40 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।
कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने ऑक्सीजन प्लांट निर्माण की गति को ओर अधिक तेज करने के लिये प्रभारी मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट के अनुमोदान से एक समिति का गठन भी किया है। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने बताया है कि इन्दौर जिले के अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था हेतु तथा अस्पतालों की मेडीकल ऑक्सीजन को लेकर बाहर की निजी कंपनियों पर निर्भरता को समाप्त करने के दृष्टिकोण से विगत 01 माह से शासकीय एवं निजी अस्पतालों द्वारा अपने अस्पतालों मे ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना हेतु सार्थक प्रयास किए जा रहे है। ऐसे कुल 40 निजी एव शासकीय अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इन 40 अस्पतालों में जो ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो रहे है, उनकी क्षमता लगभग 65 मेट्रीक टन है। इन्दौर जिले तथा पीथमपुर मित्तल प्लांट की एयर सेपरेशन यूनिट से लगभग 40 टन ऑक्सीजन ऑक्सीजन सिलेंडर में भरी जा सकती है। इस प्रकार इन्दौर जिले में निजी एवं शासकीय अस्पतालों में 65 मेट्रीक टन क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो जाने के उपरांत इन्दौर जिला, मेडिकल ऑक्सीजन की मांग अनुसार आत्मनिर्भर होने की ओर आगे बढ़ रहा है। किसी असमान्य मांग वृद्धि की स्थिती में ही एक टैंकर तरल मेडिकल ऑक्सीजन निजी कंपनियों से प्राप्त कर बढी हुई असमान्य वृद्धि की पूर्ति हो सकेगी।
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