हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह के प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। परन्तु जब यह प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन होता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शिवजी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित होता है। जून माह का दूसरा प्रदोष व्रत, पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि, तारीख 22 जून दिन मंगलवार को है। हनुमान जी (Hanuman ji) को भगवान शिव का ही रूद्रावतार (Rudravatar) माना जाता है, इसलिए मान्यता है कि भौम प्रदोष का व्रत करने से हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति के मंगल ग्रह संबंधी दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
भौम प्रदोश व्रत पर बन रहा है ये खास संयोग
इस दिन यह खास संयोग भी बन रहा है। मंगलवार (Tuesday) होने के नाते जहां यह दिन हनुमान जी को भी समर्पित होता है, वहीं प्रदोष व्रत अर्थात त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। इस बेहद शुभ संयोग (good luck) में प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव और हनुमान जी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इससे भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है तथा भक्त के सभी रोग दोष दूर हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं (religious beliefs) के मुताबिक, हनुमान जी को भी भगवान शिव का अवतार माना जाता है। ऐसे में इस दिन भगवान शंकर के साथ हनुमान जी की उपासना बेहद शुभ लाभदायक है।
भौम प्रदोष व्रत का महत्त्व
भगवान शिव और हनुमान जी दोनों अपने भक्तों से बहुत जल्द ही प्रसन्न होते हैं। इसलिए भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है। भौम प्रदोष वत्र के दिन सुबह स्नानादि करके भोलेनाथ को श्रद्धा पूर्वक भक्तिभाव से बेल पत्र, धतूरा, मंदार और जल चढ़ाने मात्र से भी प्रसन्न किया जा सकता है ।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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