डेस्क। चिराग के सियासी कुनबे में आग लगाने के पीछे कौन है? क्या नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का मिशन बदला पूरा गया? अब आगे चिराग पासवान (Chirag Paswan) क्या करेंगे? चुनाव के बाद से बिहार की राजनीति में लगातार उबाल क्यों है? एलजेपी में जब टूट हुई तो इन सवालों के बीच की सियासी तस्वीर देखने की कोशिश हुई। ऐसा माना जा रहा है कि एलजेपी के भीतर बगावत की पटकथा नीतीश कुमार ने लिखी। जब विधानसभा चुनाव में चिराग ने उन्हें नुकसान पहुंचाया तभी से नीतीश बेहद नाराज थे।
नीतीश ने लिखी एलजेपी के भीतर बगावत की पटकथा!
चिराग को किसी तरह एनडीए में स्पेस देने को तैयार नहीं थे और बीजेपी पर इसके लिए वह अपना वीटो लगाने की हद तक जाते थे। राजनीतिक रूप से बदला लेने के लिए नीतीश कुमार ने सबसे पहले पशुपति कुमार पारस से संपर्क साधा। दोनों के बीच बहुत पुराने संबंध रहे हैं। चिराग को इसका आभास था। पिछले दिनों जब पशुपति पारस ने नीतीश की तारीफ की तो चिराग ने अपने चाचा से सख्त नाराजगी जताई और उन्हें पार्टी से हटाने तक की धमकी दे दी।
पिछले पांच दिनों से एलजेपी नेताओं की हो रही थी बैठक
तभी पशुपति पारस ने चिराग से अलग होने का मन बना लिया। प्रिंस ने भी अपनी उपेक्षा होने का आरोप लगाया। नीतीश कुमार ने परदे के पीछे से मदद की। ललन सिंह और महेश्वर यादव ने एलजेपी नेताओं की जेडीयू से करीबी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। सोमवार को भी जब एलजेपी सांसद वीणा देवी के यहां उनके दल के नेताओं की बैठक हो रही थी तब वहां जेडीयू वरिष्ठ नेता और सांसद ललन सिंह मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार पिछले पांच दिनों से एलजेपी नेताओं की बैठक हो रही थी। जेडीयू सूत्रों के अनुसार चिराग के हटने से एलजेपी के लिए जो उनकी आपत्ति है वह दूर हो जाएगी।
तो क्या जेडीयू में एलजेपी का विलय हो जाएगा?
एलजेपी के नए गुट का आगे का रास्ता क्या होगा? ऐसी खबरें आईं कि पशुपति पारस जेडीयू में ठीक उसी तरह पार्टी विलय कर सकते हैं जिस तरह पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का हुआ था। दरअसल, इसके लिए नीतीश कुमार परदे के पीछे से कोशिश कर रहे हैं। राज्य की 40 लोकसभा सीट में 17 बीजेपी की हैं और 16 जेडीयू की।
अगर पांच सांसद एलजेपी के जेडीयू में मिलते हैं तो बिहार में नीतीश कुमार फिर एनडीए के बिग ब्रदर की भूमिका का दावा कर सकेंगे। लेकिन बीजेपी भी इस विलय को आसानी से नहीं होने देगी। इसके लिए पशुपति पारस को केंद्र में अच्छी भूमिका दी जा सकती है। दरअसल, बात सिर्फ एलजेपी की ही नहीं है। जब एलजेपी के सांसद चिराग से अलग होकर नया गुट बना रहे थे तभी ये खबरें आईं कि कांग्रेस के कई विधायक जेडीयू के संपर्क में हैं और वे भी बगावत कर सकते हैं। इनमें पार्टी कुछ मुस्लिम विधायक भी हैं। इसके अलावा बाकी छोटे दलों से नीतीश संपर्क में हैं।
बड़ा सवाल, चिराग पासवान का आगे का रास्ता क्या?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि चिराग पासवान क्या करेंगे? उनके लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि न सिर्फ पार्टी बल्कि एक तरह से परिवार के अंदर भई उनके खिलाफ बगावत हुई। पार्टी के जो 5 सांसद अलग हुए उनमें पशुपति कुमार पारस उनके चाचा हैं तो प्रिंस चचेरे भाई। ऐसे में रामविलास पासवान की विरासत पर अपना हक जताना और उसको फिर से हासिल करना आसा नहीं होगा।
लेकिन यह भी सही है कि पिछले कुछ सालों से वे एलजेपी का चेहरा रहे हैं। अगर वह विपक्षी गठबंधन से खुद को जोड़ते हैं तो वह असर डाल सकते हैं। जब पिछले साल बिहार में एलडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था तब भी कांग्रेस और आरजेडी ने उन्हें अपने पाले में लाने का प्रस्ताव दिया था। सोमवार को भी कांग्रेस नेताओं ने चिराग से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन उनके करीबी लोगों के अनुसार अभी वह कोई फैसला हड़बड़ी में नहीं लेंगे।
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