वॉशिंगटन। दुनियाभर में सालभर से अधिक समय से कोरोना वायरस(Corona Virus) महामारी(Pandemic) तबाही मचा रही है. लाखों लोगों की जान ले चुकी महामारी (Pandemic) को रोकने के लिए देश ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण(Vaccination) करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
इस बीच, वैक्सीन(Vaccine) बनाने वाली कंपनी नोवावैक्स(novavax) ने दावा किया है कि कोरोना के वैरिएंट्स (Variants of Corona) के खिलाफ उसका टीका(Vaccine) 90 फीसदी से अधिक प्रभावी है. कंपनी ने अमेरिका में बड़े स्तर पर स्टडी करने के बाद टीके के असरदार होने पर कॉमेंट किया है.
बता दें कि अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स (novavax) ने पिछले साल अगस्त में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया Serum Institute of India(SII) के साथ एक डील पर साइन किया था, जिसके तहत 200 करोड़ वैक्सीन की डोज तैयार की जानी थी.
कंपनी ने कहा, ”टीका कुल मिलाकर लगभग 90% प्रभावी पाया गया है और शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि यह सुरक्षित है.” नोवावैक्स टीके को लेकर यह आंकड़े उस समय सामने आए हैं, जब दुनिया में वैक्सीन की खपत लगातार बढ़ रही है. हालांकि, अमेरिका में बड़ी आबादी का टीकाकरण होने की वजह से वहां वैक्सीन की खपत में कमी जरूर आई है. नोवावैक्स वैक्सीन को स्टोर और ट्रांसपोर्ट करना काफी आसान है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह डेवलपिंग देशों में वैक्सीन की सप्लाई बढ़ाने की जरूरत को पूरा करने में अहम रोल निभाएगी. हालांकि, यह मदद अभी काफी दूर है, लेकिन कंपनी का कहना है कि वह सितंबर के आखिरी तक अमेरिका-यूरोप और अन्य जगहों पर टीकाकरण के लिए मंजूरी लेने की योजना बना रही है और तब तक एक महीने में 10 करोड़ खुराकों का प्रोडक्शन करने में सक्षम है. नोवावैक्स के चीफ एग्जीक्यूटिव स्टेनली एर्क ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया, “हमारे पहले डोजेस में से कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जाएंगे और यही हमारा लक्ष्य भी था.” खबरों की मानें तो अमेरिका की आधी से अधिक आबादी को कम-से-कम एक कोविड-19 वैक्सीन की डोज मिल चुकी है, जबकि डेवलपिंग देशों में एक फीसदी से भी कम लोगों को एक शॉट नसीब हुआ है. नोवावैक्स की स्टडी में अमेरिका और मैक्सिको में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 30,000 लोग शामिल थे. उसमें से तीन सप्ताह के अंतराल में पर दो-तिहाई लोगों को टीके की दो खुराकें दी गईं और बाकी को डमी शॉट्स दिए गए. वैक्सीन पाने वाले ग्रुप में कोविड-19 के 77 मामले थे, जिसमें से 14 लोगों को वैक्सीन दी गई थी और बाकी वॉलंटियर्स को डमी शॉट्स दिए गए थे. प्लेसीबो ग्रुप में 14 की तुलना में वैक्सीन ग्रुप में किसी को भी माइल्ड या गंभीर बीमारी नहीं थी. इसके अलावा, वैक्सीन कई वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी है. कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ने बताया कि टीके के साइड इफेक्ट्स ज्यादातर हल्के ही थे. इसमें से इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर हल्का दर्द शामिल है. असामान्य रक्त के थक्के या दिल की समस्याओं की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है.