डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
नरेन्द्र मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से ही सीमा क्षेत्र में ढांचागत निर्माण को प्राथमिकता दी। इसकी आवश्यकता पिछले अनेक दशकों से थी। क्योंकि चीन के निर्माण कार्य लगातार जारी थे। कहा जाता है कि चीन की नाराजगी को देखते पहले इस दिशा में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। इसके विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसपर ध्यान दिया। जिसके चलते विगत सात वर्षों में सीमा पर सड़क पुल निर्माण की अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की गई। कई बार चीन ने इस पर नाराजगी जताई, लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। इस क्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन मुख्यालय का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने नवनिर्मित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पिछले सात सालों में बीआरओ ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उसके द्वारा विश्वस्तरीय निर्माण किये गए। इनमें अटल टनल, रोहतांग, कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नए मार्ग का निर्माण शामिल हैं। यह सभी दुर्गम कार्य थे, जिसे संभव बनाया गया।
सीमा निर्माण संगठन रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। यह सीमा क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी को अंजाम देता है। पूर्वी और पश्चिमी सीमा में सड़क निर्माण और इसके रखरखाव भी इसके कार्यक्षेत्र में है। इससे सेना का मूवमेंट सुगम बनाया जाता है। इस संगठन ने भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है। रोहतांग सुरंग का सपना अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने इसकी कार्ययोजना बनाई थी। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कठिन कार्य को पूर्ण करके दिखाया। इतनी ऊंचाई पर विश्व की सबसे बड़ी सुरंग का निर्माण आसान नहीं था। अनेक दुर्गम स्थल इसके रास्ते में थे। आधुनिक दृष्टि से इसका निर्माण किया गया है। इसका व्यापक महत्व है। चीन से संघर्ष की दशा में यह बहुत उपयोगी साबित होगी। पहले इसका नाम रोहतांग सुरंग था। इसके निर्माण की योजना अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाई थी इसलिए उनके नाम पर उसका नामकरण किया गया। नौ किमी लंबी यह सुरंग दस हजार फीट की ऊंचाई पर है। इस प्रकार इसे दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर निर्मित सुरंग का गौरव मिला। इससे लेह और मनाली के बीच की दूरी छियालीस किमी कम हो हो रही है।
इससे रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हुआ है। मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब पांच घंटे का समय लगता था। अब मात्र दस मिनट लगेंगे। पहले बर्फबारी के कारण वर्ष में छह महीने यह मार्ग बंद रहता था। अब लद्दाख में तैनात सैनिकों से सुगम संपर्क कायम रहेगा। उन्हें हथियार और रसद न्यूनतम समय में पहुंचाई जा सकेगी। आपात परिस्थितियों के लिए इस सुरंग के नीचे एक अन्य सुरंग का भी निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बनाई जा रही है। विशेष परिस्थितियों में यह आपातकालीन निकास का काम करेगी। यह कि यह देश की सुरक्षा से भी जुड़ा निर्माण कार्य है। अटल टनल से सामरिक सुविधा भी मिलेगी। गत वर्ष नरेंद्र मोदी ने अटल टनल राष्ट्र को समर्पित किया था। यह अत्यंत दुष्कर परियोजना थी। भौगोलिक बाधाएं पहाड़ जैसी थी। लेकिन सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई। इसी भावना के अनुरूप निर्माण कार्य से संबंधित लोगों ने मेहनत व जज्बे का प्रदर्शन किया। जिसके कारण यह सफलता मिली।
लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप चार दशकों तक बंद रही। इसके अलावा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अनेक परियोजनाएं भी थी। असम के डिब्रूगढ़ शहर के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील पुल और बिहार में कोसी महासेतु अति महत्वपूर्ण थे। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद परियोजाओं में तेजी लाई गई। इन्हें पूरा किया गया। सीमा पर युद्ध की स्थिति में सैनिकों को शीघ्र सहायता पहुंचाने हेतु आवश्यक ढांचागत निर्माण में लापरवाही की गई। जबकि चीन ने छह दशक पहले तैयारी शुरू कर दी थी। यूपीए सरकार जिस प्रकार कार्य कर रही थी, उससे यह सुरंग दो हजार चालीस में बनती। मोदी सरकार ने छह साल में छब्बीस साल का काम किया गया।
पहले की सरकार ने सामरिक योजनाओं को लटकाया, भटकाया। छह वर्षों में पूरी ताकत से कार्य हो रहा। दर्जनों प्रोजेक्ट पूरे हुए। अनेक पर कार्य चल रहे हैं। इतनी तेजी से पहले कभी कार्य नहीं किया गया। बीआरओ ने लगातार नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। उसके द्वारा बनाई गई सड़कें अपने आप में आकर्षण का विषय होती हैं। जहां उनकी सड़कों की गुणवत्ता उत्तम होती है, वहीं सड़क सुरक्षा के बारे में उनके साइनबोर्ड बड़े रोचक तरीके से लोगों को जागरूक भी करते हैं। राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि यह संगठन अपनी पूरी क्षमता के साथ इसी प्रकार निर्मांण कार्यों को आगे बढ़ाता रहेगा। वर्तमान सरकार के द्वारा उसको सभी प्रकार की अपेक्षित सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)