इंदौर।यातायात ( traffic) की तरह वाहन (vehicle )चोरी (theft) भी पुलिस (police) के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। लाख प्रयास के बाद भी पुलिस (police)इस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। पिछले साल हर माह 200 गाडिय़ां चोरी हो रही थीं। अब लॉकडाउन के बाद भी इस साल पहले पांच माह में हर महीने 300 गाडिय़ां चोरी हुई हैं। इस हिसाब से पिछले साल की तुलना में हर माह 100 गाडिय़ां अधिक चोरी हो रही हैं। पांच माह में 500 गाडिय़ां अधिक चोरी हो गईं।
मिनी मुंबई कहलाने वाले इंदौर शहर में यूं तो मुंबई से अधिक गाडिय़ां रजिस्टर्ड हैं, जो यातायात के लिए तो एक बड़ी परेशानी है ही, लेकिन अब वाहन चोरी भी पुलिस के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। 2020 के पुलिस रिकार्ड पर नजर डालें तो पता चलता है कि प्रथम पांच माह में शहर में 1001 गाडिय़ां चोरी हुई थीं। इस हिसाब से 200 गाडिय़ां हर माह चोरी हुई थीं। 2021 की बात करें तो पांच माह में इस दौरान 1475 गाडिय़ां चोरी गई हैं। इस हिसाब से हर माह 300 गाडिय़ां चोरी हुई हैं, जबकि शहर में दो माह से लॉकडाउन लगा हुआ था। इसके बाद भी पिछले साल से हर माह 100 गाडिय़ां अधिक चोरी होना पुलिस के लिए चुनौती है।
शराब तस्करी के लिए हो रहा है उपयोग
कुछ दिन पहले क्राइम ब्रांच और पुलिस के कुछ थानों में जब शराब तस्कर पकड़ाए तो पता चला कि उनके पास जो गाडिय़ां थीं वह चोरी की थीं। एक तस्कर के पास से तो चोरी की पांच गाडिय़ां मिली थीं।
कंजर गिरोह भी सक्रिय
इसके अलावा कंजर गिरोह शहर में लूट और चोरी के लिए गाडिय़ां चुराता है। कुछ दिन पहले एमआईजी थाना क्षेत्र में कंजर गिरोह ने पुलिस पर हमला कर दिया था और गाड़ी छोडक़र भाग गए थे। उनके पास से मिली गाड़ी भी चोरी की थी। कंजर गिरोह से तो कई बार पुलिस की टीमें छापा मारकर बड़ी संख्या में इंदौर से चुराई गाडिय़ां जब्त कर चुकी हैं। ये लोग जनरेटर के लिए भी इसका उपयोग करते हैं।
पुलिस का प्लान कोरोना के कारण हो गया फेल
एसपी पूर्व आशुतोष बागरी ने बढ़ रही वाहन चोरी को लेकर कुछ माह पहले एक प्लान तैयार किया था। चोरी के स्पॉट चिह्नित किए थे और वहां निगरानी की जा रही थी। इसका असर भी हुआ था, लेकिन कोरोना के चलते प्लान फेल हो गया और लॉकडाउन में भी पहले से अधिक गाडिय़ां चोरी हो गईं।
दस प्रतिशत गाडिय़ां हो पाती हैं बरामद
ऐसा नहीं है कि पुलिस चोरों को पकड़ नहीं पाती है। हर माह दो-चार गिरोह पुलिस के हाथ लगते हैं और उनसे गाडिय़ां बरामद भी होती हैं, लेकिन शहर में जितनी गाडिय़ा चोरी होती हैं उसका दस प्रतिशत भी बरामद नहीं हो पाती हैं। बताते हैं कि चोर गिरोह इन गाडिय़ों को देहात क्षेत्र में बेच देते हैं, जहां ये गाडिय़ां सालों तक चलती रहती हैं। वहां कोई देखने वाला नहीं होता न कोई चैकिंग होती है। कुछ चोर चोरी की गाडिय़ों को अपनी बताकर गिरवी रख देते हैं।
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