नेताओं की बलिहारी…नियंत्रण की नई बीमारी
गुरुवार। महाराष्ट्र (Maharashtra) से लेकर गुजरात (Gujarat), राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित देश के प्रमुख शहरों के बाजार जहां गुलजार हो रहे हैं, वहीं मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की व्यावसायिक राजधानी इंदौर ( Indore) में कारोबार (business) तो कारोबार आफिस-दफ्तर तक के ताले बंद हैं। यहां तक कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी सारे प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, वहीं इंदौर में टुकड़ों-टुकड़ों में छूट देती आपदा प्रबंधन समिति के नेता खुद शहर की आपदा बनते जा रहे हैं। प्रमुख बाजारों को केवल डिस्पैच (dispatch) तक सीमित कर दिया गया है और वह छूट भी खैरात की तरह दी जा रही है।
जब शहर कराह रहा था… सडक़ों पर मौतें हो रही थीं…लोग सिसक रहे थे… अस्पतालों (hospitals) के लिए तरस रहे थे,तब आपदा प्रबंधन समिति के सारे नेता घरों में दुबके पड़े थे… अब जब महामारी दम तोड़ रही है, तब नियंत्रण की बीमारी नेताओं के सिर चढ़ रही है…बाजार के लोग नेताओं के सामने गुहार लगा रहे हैं…फरियाद करते नजर आ रहे हैं और इससे फूले नहीं समाए नेता टुकड़े-टुकड़े में डिस्पैच (dispatch) की परमिशन देकर छाती चौड़ी करते नजर आ रहे हैं…केन्द्र सरकार ने छूट के लिए 5 प्रतिशत की गाइड लाइन दी थी, लेकिन इंदौर में संक्रमण की स्थिति 2 प्रतिशत से भी कम हो गई, उसके बावजूद इंदौरी नेता हर दिन अपनी गाइड लाइन बना रहे हैं।
सरकार का ध्यान अपनी कमाई पर… शराब की दुकानों को छूट
व्यापारी-कारोबारी जहां पिस रहे हैं, वहीं सरकार का ध्यान अपनी कमाई पर है…लॉकडाउन के दौरान ही जहां रजिस्ट्रार कार्यालय को छूट दी गई, वहीं अनलॉक (Unlock) होते ही सबसे पहली छूट शराब (liquor) की दुकानों (shops) को मिली। इन शराब की दुकानों पर कोरोना के सारे नियम ध्वस्त हो रहे हैं… लोग भीड़ लगाकर एक-दूसरे के ऊपर टूट रहे हैं, लेकिन यहां प्रशासन का कोई अधिकारी झांकने तक नहीं जा रहा है… जबकि डिस्पैच (dispatch) तक की परमिशन के बाद बाजारों में जाने वाले लोगों की सडक़ के मुहाने पर ही जांच हो रही है…
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