भोपाल। कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के बीच हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर हाईकोर्ट (Junior Doctor High Court) के निर्देश के बाद भी काम पर नहीं लौटे हैं। सरकार (Government) ने भी जूडा को मनाने की पूरी कोशिश की। कुछ मांगें भी मान ली गई हैं। इसके बावजूद भी जूडा काम पर नहीं लौटे हैं। इस बीच राज्य सरकार ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों (Doctos) का मेडिकल काउंसिल (Medical Council) से भी पंजीयन (Registration) निरस्त कराने की तैयारी कर ली है। मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) ने जूनियर डॉक्टरों (Junior Doctors) को 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा है। इसके बाद भी जूनियर डॉक्टर (Junior Doctors) काम पर नहीं लौटे हैं।
उन्होंने अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) के डीन को गुरुवार शाम को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। इस संदर्भ में सेंट्रल जूडा प्रेसीडेंट डॉ. अरविंद मीणा (Central Juda President Dr. Arvind Meena) ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें मानने की सहमति दी थी, लेकिन अब वादा खिलाफी की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। वहीं जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में मेडिकल ऑफसिर्स एसोसिएशन भी आ गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों ने कहा कि सामूहिक इस्तीफा कानूनी तौर पर कोई शब्द नहीं है, न ही इस पर कोई निर्णय लिया जा सकता है। किसी डॉक्टर को इस्तीफा देना है तो व्यतिगत तौर पर दे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि जूनियर डॉक्?टर यदि काम पर नहीं लौटते हैं तो मेडिकल काउंसिल से भी पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने कहा कि जूनियर डॉक्टर पढ़ाई करने के लिए अपनी पसंद से आए हैं। उन्हें विज्ञापन देकर नहीं बुलाया गया है। इनका मुख्य काम है पढ़ाई करना। मरीजों का उपचार इनका मूल काम है। यह उनके लिए प्रैक्टिकल है। मानवता के नाते और छात्र होने के नाते कोरोना काल में इस तरह आंदोलन ठीक नहीं है।
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