नई दिल्ली। नीति आयोग(Niti Ayog) ने ‘विनिवेश’ पर बने सचिवों के एक ‘कोर ग्रुप’ को उन 2 बैंकों के नाम सौंप (handed over the names of 2 banks) दिए हैं, जिन्हें इसी वित्त वर्ष में प्राइवेट किया जाना है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इस साल अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंक (2 public sector banks) और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी (a general insurance company) का प्राइवेटाइजेशन (privatization) करेगी. इसके लिए बैंकों के नाम का चयन करने की जिम्मेदारी नीति आयोग(Niti Ayog) को दी गई थी.
खबरों के मुताबिक नीति आयोग(Niti Ayog) के अधिकारी ने जानकारी दी, ‘हमने सचिवों के कोर ग्रुप को बैंकों के नाम की अंतिम सूची दे दी है.’ हालांकि अभी बैंक के नाम सामने नहीं आए हैं. कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों का कोर ग्रुप इस सूची पर विचार करके इसे मंजूरी के लिए पहले अल्टरनेटिव मैकेनिज्म और उसके बाद कैबिनेट के पास भेजेगा. कैबिनेट की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही इस लेकर रेग्युलेटरी परिवर्तन किए जाएंगे. बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की वजह बताते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश को SBI जैसे बड़े बैंकों की जरूरत है. हमें ऐसे बैंक चाहिए तो अपने स्तर को बढ़ाने के काबिल हों और देश की आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता रखते हों. बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से कर्मचारियों के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं होगा. हाल ही में वित्त मंत्री ने बैंक कर्मचारियों को ये भरोसा दिलाया है. वित्त मंत्री का कहना है कि प्राइवेटाइजेशन के दौरान कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और स्केल सभी का ध्यान रखा जाएगा. गौरतलब है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों, बैंकों और बीमा कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.