रामेश्वर धाकड़
भोपाल। कोरोना (Corona) काल में खजाना खाली होने के बावजूद प्रदेश में विधायकों के वेतन-भत्ते एवं सुविधाएं बढ़ाने की कसरत शुरू हो गई है। इस बीच शिवराज सरकार (Shivraj Government) अब विधायकों को आधी निधि (Fund) मनमानी तरीके से खर्च करने की छूट देने जा रही है। इससे विधायकों की विकास कार्यों पर निधि खर्च (Fund Expenditure) करने की बाध्यता खत्म हो जाएगी और वे अपने समर्थक एवं परिचितों को नगद लाभ पहुंचाकर उपकृत कर पाएंगे। इससे जुड़ा प्रस्ताव मुख्य सचिव ने वित्त विभाग से अपने पास बुला लिया है। जल्द ही कैबिनेट (Cabinet) से हरी झंडी मिल जाएगी।
प्रदेश में विधायकों को अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए हर साल 2 करोड़ रुपए की निधि मिल सकती है। जिसमें से वे 1.85 करोड़ रुपए विधानसभा (Assembly) क्षेत्र में विकास कार्यों पर खर्च कर पाते हैं। जबकि 15 लाख रुपए क्षेत्र में स्वेच्छानुदान पर खर्च करते हैं। विधायकों की लंबे समय से यह मांग है कि आधी निधि को स्वेच्छानुदान में खर्च करने की अनुमति दी जाए। प्रदेश में 1 जून को अनलॉक (Unlock) की प्रक्रिया शुरू होते ही सरकार (Government) ने विधायकों की मांग पूरी करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। मंत्रालय (Ministry) सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव (Chief Secretary) ने वित्त विभाग से विधायक निधि खर्च करने का प्रस्ताव अपने पास बुला लिया है। जिस पर जल्द ही वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की मुहर लग जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की मौजूदगी में इस पर यह फैसला होना शेष है कि स्वेच्छानुदान पर विधायकों को कितनी निधि खर्च करने के अधिकार दिए जाएं। साथ ही अपने विधानसभा क्षेत्र के बाहर स्वेच्छानुदान एवं विकास कार्यों पर कितनी निधि खर्च कर पाएंगे।
इसलिए बदली जा रही व्यवस्था
विधायकों की शिकायत है कि 15 लाख का स्वेच्छानुदान निधि क्षेत्र के लिए कम पड़ती है। इससे वे जरूरतमंदों की मदद नहीं कर पाते हैं। जबकि असल वजह यह है कि विधायक 15 लाख की राशि को अपने नाते-रिश्तेदारों पर ही खर्च कर देते हैं। जबकि पार्टी के कार्यकर्ता, समर्थकों की स्वेच्छानुदान से मदद नहीं कर पाते हैं। एक करोड़ स्वेच्छानुदान होने पर वे अपनी मनमर्जी से सभी की मदद कर पाएंगे।
फिलहाल यह है निधि खर्च की व्यवस्था
2 करेाड़ की निधि में से विधायक 15 लाख स्वेच्छानुदान एवं 1.85 करोड़ विकास पर खर्च करते हैं। क्षेत्र के बाहर विकास पर सिर्फ 5 लाख रुपए खर्च करने की पात्रता है। जबकि सरकार अब स्वेच्छानुदान पर आधी निधि खर्च करने की अनुमति देने जा रही है। इसके बाद विधायक क्षेत्र में विकास कार्य ज्यादा नहीं करा पाएंगे। उनका फोकस अपने समर्थकों को निधि के माध्यम से नगद लाभ पहुंचाना होगा। राज्य सरकार ने कोरोना काल में विधायकों को कोरोना पर निधि खर्च करने की असीमिति छूट दे रखी है। विकास कार्यां में यह व्यवस्था है कि 25 लाख के कार्य कलेक्टर, 50 लाख तक के संभागायुक्त एवं 50 लाख से ज्यादा के कार्य राज्य शासन द्वारा स्वीकृत किए जाएंगे।
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