दुनिया भर में प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल करीब 50 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है. इस हिसाब से हर मिनट हम 10 लाख से ज्यादा पॉलिथिन या प्लास्टिक पैकिंग (plastic packing) का उपयोग करते हैं. सबसे खतरनाक बात तो ये है कि अब फूड पैकेजिंग (food pakaging) के लिए भी प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है, जो पर्यावरण के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं है.
अब वैज्ञानिक इस जुगत में लगे हैं कि प्लास्टिक (Plastic) की पैकिंग को कम से कम भोजन से तो दूर रखा जाए. इस सिलसिले में भारत में कई बार केले, ताड़ और ऐसे बड़े पत्तों का इस्तेमाल फूड पैकेजिंग(Food packaging) के करने के स्टार्ट अप सामने आए. अब विदेशों में भी इस पर चल रही रिसर्च के बाद प्लास्टिक की जगह घास से रेशों का इस्तेमाल करने पर विचार हो रहा है. घास के रेशे सौ फीसदी बायोडिग्रेबल (Biodegradable) और डिस्पोजबल हैं. इसे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा.
डेनमार्क (Denmark) के वैज्ञानिकों ने सुझाया रास्ता
डेनिश टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ( Danish Technological Institute) के केंद्र निदेशक ऐनी क्रिस्टीन स्टीनक जोर हस्त्रुप (Anne Christine Steenk joar Hastrup) बताते हैं कि घास से बनी डिस्पोजेबल पैकेजिंग के बहुत सारे पर्यावरणीय फायदे हैं. पैकेजिंग 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल होगी, ऐसे में कोई इसे बाहर भी छोड़ देगा तो ये अपने आप नष्ट हो जाएगी. इस सामग्री को बनाने के लिए सिनप्रोपैक (SinProPack) नाम का प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत डिस्पोजेबल प्लास्टिक के लिए स्थायी विकल्प तैयार करना है. इस योजना के तहत घास के रेशों से पैकिंग की जांच छोटे स्केल पर होगी और सफल होने पर इसे फूड पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.ये भी पढ़ें- ‘समंदर के कचरे’ से बनेगा सुंदर रिसॉर्ट, हमारे साथ करिए सपनों के संसार की सैर
ऐसे हो सकेगा घास का पैकेजिंग में इस्तेमाल
रिसर्चर्स का कहना है कि प्रोटीन उत्पादन के लिए ग्रीन जैव शोधन पहले ही होता रहा है. घास काटकर उसमें से पशुओं के चारे का प्रोटीन निकाला जाता है. इससे निकलने वाले घास के रेशों और लुगदी में सुधार करके इसका इस्तेमाल पैकेजिंद में हो सकता है . प्रोटीन निकाले जाने के बाद बायोरिफाइनिंग (Biorefining) में खिलाई जाने वाली घास का लगभग 70 फीसदी फाइबर होता है. ग्रास फाइबर की परियोजना के लिए खास तौर ऐसी घास का उत्पादन किया जाएगास जिसमें रेशे ज्यादा होंगे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved