भोपाल। कोरोना आपदा के दौरान सरकारी अस्पतालों में दिन-रात सेवाएं देने वाले मध्य प्रदेश के सीनियर डॉक्टर (Senior Doctor) सरकार के एक फैसले से नाराज हैं। सीनियर डॉक्टर्स का कहना है कि अगर आदेश पर अमल हुआ तो फिर उन्हें अपने जूनियर डॉक्टर (Junior doctor) के अंडर में काम करना पड़ेगा। इसी को देखते हुए अब सीनियर डॉक्टर्स के संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग को नहीं माना गया तो फिर वह आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
इसी सिलसिले में मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ ने स्वास्थ्य मंत्री को एक ज्ञापन भी दिया है जिसमें कहा गया है कि वर्तमान में लगभग 800 से 900 पीजी चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। एमपी चिकित्सा अधिकारी संघ (MP Medical Officers Association) ने पूर्व में भी शासन से अनुरोध किया था कि सभी पीजी मेडिकल ऑफिसर को विशेषज्ञ पद पर अपग्रेड किया जाए। लेकिन अगर कैबिनेट के फैसले पर अमल हुआ तो सीनियर डॉक्टर जूनियर के अंडर में काम करने को मजबूर हो जाएंगे।
क्या है मामला?
हाल ही में शिवराज कैबिनेट ने एक फैसला लेते हुए तय किया है कि स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञ के 75 % पदो पर पदोन्नति व 25% पदों पर विशेषज्ञ की सीधी भर्ती होगी। जबकि भर्ती नियम में सभी पदों को पदोन्नति से भरने का नियम था। कैबिनेट के फैसले से विभाग में पहले से काम कर रहे सीनियर डॉक्टर्स खफा हैं, क्योंकि अगर सीधी भर्ती से विशेषज्ञ पद पर नियुक्ति की जाएगी तो पूर्व से विभाग में कार्यरत पीजी मेडिकल ऑफीसर की वरिष्ठता प्रभावित होगी और उन्हें वरिष्ठ होने के बावजूद भी अपने जूनियर के मातहत काम करना पड़ेगा।
संघ की मांग
चिकित्सा अधिकारी संघ की मांग है कि पहले विभाग में कार्यरत सभी पीजी चिकित्सकों को विशेषज्ञों के रिक्त पदों पर अपग्रेड कर उन्हें विशेषज्ञ बनाया जावे। उसके बाद ही कोई फैसला सीधी भर्ती पर हो। संघ ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो चिकित्सक चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved