बैकलॉग जोड़-जोडक़र बढ़ा रहे हैं मरीज, ताकि संक्रमण दर 6 प्रतिशत से ज्यादा रहे
इंदौर। न तो मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार इंदौर (Indore) को बेलगाम करना चाहती है और न ही इंदौर का जिला प्रशासन (District Administration) कोई जोखिम उठाने के लिए तैयार है। लिहाजा शहर में तेजी से घट रहे संक्रमण और मरीजों की संख्या में कमी के बावजूद जिला प्रशासन बैकलॉग (Backlog) यानी पुराने मरीजों का आंकड़ा नए मरीजों में जोड़-जोडक़र संक्रमण की दर को जहां 5 प्रतिशत से ज्यादा रखना चाहता है, वहीं नई टेस्टिंग भी नहीं कराई जा रही है, ताकि संक्रमण का प्रतिशत घटने न पाए और शहर एक साथ वो सारी रियायतें हासिल नहीं कर पाए, जिनसे कोरोना बढऩे का खतरा हो।
केन्द्र सरकार (Central Government) द्वारा शहरों को रियायतें देने के लिए जो गाइड लाइन (Guide Line) जारी की गई है उसमें सबसे बड़ी शर्त मरीजों की संख्या को लेकर है। जिन शहरों में संक्रमण दर 5 प्रतिशत से कम हो उन्हेें ही ज्यादा रियायत मिल सकती है और जिन शहरों में संक्रमण की दर 6 प्रतिशत से ज्यादा है वहां अभी भी बंदिशें जारी रखी जाएंगी। इसी गाइड लाइन (Guide Line) को आधार बनाकर जिन शहरों में संक्रमण दर कम है, लेकिन नियंत्रण ही आसान है, वहां ही रियायतें शुरू की जा रही हैं। लेकिन जिन शहरों में संक्रमण दर कम होने के बावजूद कोरोना बढऩे पर नियंत्रण मुश्किल है वहां किस्तों में रियायतें दी जाएंगी और इंदौर-भोपाल उसी श्रेणी में आने के कारण यहां संक्रमण दर को 5 प्रतिशत से कम नहीं किया जाएगा।
व्यावसायिक राजधानी है इंदौर… सुरक्षा भी चाहिए और व्यापार भी
इंदौर (Indore) न केेवल मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी है, बल्कि व्यापार के साथ राजस्व का भी सबसे बड़ा केन्द्र है। इंदौर (Indore) में छूट देना जहां आवश्यक है, वहीं सुरक्षा को भी ध्यान में रखना जरूरी है। कोरोना की दोनों लहरों में इंदौर शहर पूरे देश के सर्वाधिक संक्रमित शहरों में शामिल था और इसका प्रभाव पूरे प्रदेश की ख्याति पर पड़ता है। इसलिए व्यापार के साथ ही सुरक्षा का भी ख्याल रखते हुए छूट दी जाएगी।
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