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    Corona Virus से भी खतरनाक महामारी की चपेट में आयी मधुमक्खियां

  • May 28, 2021

    वॉशिंगटन। कोरोना वायरस(Corona Virus) से भी खतरनाक महामारी मधुमक्खियों(Bee) में फैल गई है. मधुमक्खियों में तीन समस्‍याएं देखने को मिल रही हैं. पहला उनके पंख खत्म हो जा रहे हैं. पेट फूल जा रहा है. दिमाग सुस्त हो जा रहा है. जो मधुमक्खियां(Bee) इस वायरस से संक्रमित हो रही हैं वो अपने ही प्यूपा(Pupa) यानी बच्चों को खा ले रही हैं. यह एक तरीके का नरभक्षण है. इस बात का खुलासा एक नई स्टडी में हुआ है.
    इस वायरस को डिफॉर्म्ड विंग वायरस (DWV) या ट्रोजन हॉर्स वायरस (Trojan Horse Virus) कहा जाता है. क्योंकि ये वायरस के एक घुन (Mite) के जरिए मधुमक्खियों के छ्त्ते में जाता है. यह माइट पहले प्यूपा को खाता है. इसकी भनक मजदूर मधुमक्खियों को लगती है. वो तुरंत जाकर उस प्यूपा को खत्म करने के लिए उसे खा लेती है. इसके बाद ट्रोजन हॉर्स वायरस मधुमक्खियों के शरीर में घुस जाता है. जिसकी वजह से उनका पेट फूलने लगता है. पंख खत्म हो जाते हैं और दिमाग इतना सुस्त हो जाता है कि वो कोई भी निर्णय अपनी कॉलोनी के भले के लिए नहीं ले पाती.



    स्टडी में खुलासा हुआ है कि ट्रोजन हॉर्स वायरस यानी DWV इस समय मधुमक्खियों की आबादी के लिए महामारी से कम नहीं है. यह कई जगहों पर फैला हुआ है. कई स्थानों पर तो मधुमक्खियों की कॉलोनी को खत्म कर चुका है. यह रिसर्च साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है. जिसमें लिखा है कि इस वायरस की वजह से मधुमक्खिया हत्यारिन होती जा रही है. अपनी ही आबादी को जॉम्बी की तरह मारकर खाती जा रही हैं.
    आमतौर पर मधुमक्खियां जब यह देखती हैं कि किसी लार्वा की तबियत खराब है तो वह उसे उसके कैप्सूल ने निकालकर मार देती हैं. उसे खा जाती हैं. मधुमक्खियों के विशेषज्ञ मधुमक्खियों के इस व्यवहार को हाइजीनिक कैनिबैलिज्म (Hygienic Cannibalism) यानी स्वच्छता लाने के लिए नरभक्षण. अमेरिकी कृषि विभाग के मधुमक्खी रिसर्च लेबोरेटरी के मधुमक्खी विशेषज्ञ जे इवांस कहते हैं. यह व्यवहार कॉलोनी को सुरक्षित रखने के लिए होता है. यह जरूरी भी है.
    जे इवांस कहते हैं कि वायरस ने घुन के अंदर घुसकर उसे ट्रोजन हॉर्स बना दिया है. इसके बाद घुन जब मधुमक्खियों के लार्वा को खाता है तब वायरस लार्वा के अंदर चला जाता है. लार्वा बीमार होता है तो मजदूर मधुमक्खियां उसकी सफाई करने के लिए आती है. यानी अपने सामान्य व्यवहार के चलते उसे खाकर खत्म करने के लिए. लेकिन उन्हें कहां पता होता कि लार्वा में वायरस है. लार्वा खाने के बाद वायरस मधुमक्खियों के शरीर में घुस जाता है.
    मधुमक्खियां इस प्रक्रिया से अपने छ्त्ते पर बैक्टीरिया और फंगस के हमले को रोकती हैं. लेकिन फिलहाल वो इस वायरस को नहीं रोक पा रही हैं. मधुमक्खियां ये उस समय भी करती हैं जब किसी मधुमक्खी के शरीर पर पैरासाइट वारोआ डिस्ट्रक्टर (Varroa Destructor) चिपक जाता है. यह पैरासाइट एक घुन ही होता है. जो मधुमक्खी के शरीर का फैट खाता है. वारोआ का संक्रमण भी मधुमक्खियों की कॉलोनी यानी छ्त्ते को खत्म कर सकता है. लेकिन हाइजीनिक कैनिबैलिज्म वाले व्यवहार के चलते ये घुन हमला नहीं कर पाते. कर भी लेते हैं तो पहला संक्रमित मधुमक्खी सबसे पहले मार दिया जाता है. इससे संक्रमण फैल नहीं पाता.
    लेकिन DWV यानी ट्रोजन हॉर्स वायरस मधुमक्खियों के इसी बचाव तकनीक का फायदा उठा रहा है. वारोआ डिस्ट्रक्टर घुन के साथ मधुमक्खियों के लार्वा पर हमला करता है. उसके बाद पूरी कॉलोनी में संक्रमण फैला देता है. मधुमक्खियां जॉम्बी बन जाती हैं और अपनी ही कॉलोनी को खत्म कर देती है. जे इवांस कहते हैं कि ये वायरस भी कोरोना वायरस की तरह पहले से था लेकिन पिछले कुछ सालों में यह काफी तेजी से सक्रिय हुआ है. इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
    DWV वायरस ने इन घुनों (Mites) को अपना ट्रोजन हॉर्स बना लिया है. इसकी जांच करने के लिए इवांस की टीम ने लैब में मधुमक्खियों के लार्वा पर DWV से संक्रमित घुन को छोड़ दिया. इस वायरस की पहले से ही जेनेटिक बारकोडिंग की गई थी. ताकि यह रेप्लीकेट करे यानी अपनी आबादी बढ़ाए या संक्रमण बढ़ाए तो बाद में जांच करके पता किया जा सके. हुआ भी वही. बीमार लार्वा देखकर मधुमक्खियों ने उसे खा लिया. उनके अंदर वायरस घुस गया.
    मधुमक्खियां भी इंसानों की तरह व्यवहार करती हैं. कुछ मामलों में. जैसे वे इंसानों की तरह ही सामाजिक होती हैं. सोशल डिस्टेंसिंग उन्हें नहीं पता क्या होता है. मजदूर मधुमक्खियां आमतौर पर एकसाथ समूह में बैठकर खाना खाती है. या खाना शेयर करती हैं. इसे ट्रोफैलैक्सिस (Trophallaxis) कहते हैं. बस ये जो सोशल डिस्टेंसिंग भूलकर एक साथ खाना खाने की परंपरा है, इसी की वजह से वायरस एक मधुमक्खी से दूसरी और उसके बाद धीरे-धीरे पूरी कॉलोनी में फैल जाती है.
    जे इवांस ने खाने की प्रक्रिया पर भी प्रयोग किया ताकि वायरस के फैलने की सही वजह पता चल सके. इससे ये बात पुख्ता हो गई कि खाने के दौरान खाना शेयर करने से DWV वायरस एक मधुमक्खी से दूसरी में पहुंच गया. मधुमक्खियां बेहद सामाजिक होती हैं. एक मधुमक्खी का कनेक्शन 2000 अन्य मधुमक्खियों से होता है. यानी अगर एक मधुमक्खी इस वायरस से संक्रमित हुई तो 2000 अन्य मधुमक्खियां भी इसकी चपेट में आ सकती है. इसे कोई रोक नहीं सकता.

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