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इस दिन है शनि जयंती, पूजा के दौरान कर लें ये काम, शनिदेव की होगी आसीम कृपा

May 27, 2021


शनिदेव न्याय प्रिय देवता हैं और मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। हिंदू पंचांग (Hindu calendar) में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शनि जयंती पर दान-दक्षिणा का भी विशेष महत्व (Special importance) होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शनिदेव (Shani Dev) का का जन्म हुआ था। इस बार शनि जयंती 10 जून दिन गुरुवार (Thursday) को मनाई जाएगी। इस दिन शनि देव के पूजन का विशेष विधान है। मंदगति या धीमी गति से चलने की वजह से इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। शनि न्याय करने वाले देव हैं और मनुष्यों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। इसलिये जब व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो शनिदेव उसे दंड देते हैं और अच्छे कर्म करने वालों को अच्छे परिणाम देते हैं।

शुभ मुहूर्त:
शनि जयंती गुरुवार- 10 जून 2021
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 09 जून 2021 दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त – 10 जून 2021 शाम 04 बजकर 22 मिनट तक

शनिदेव की इस तरह करें पूजा
शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा-अर्चना (Worship) करने का विशेष महत्व है। इस दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें। उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं। इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालिसा (Shani Chalisa) का पाठ करें। इस दिन व्रत करने से भी शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है।



माना जाता है कि इस दिन दान आदि करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। आमतौर पर लोगों में शनिदेव को लेकर डर देखा गया है। कई ऐसी धाराणाएं बनी हुई हैं कि शनिदेव सिर्फ लोगों का बुरा करते हैं। पर सत्य इससे बिल्कुल परे हैं। शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी सजा तय करते हैं। शनि की साढ़ेसाति और ढैय्या मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसे फल देती है।

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न:
शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र इजात किए गए हैं। इन मंत्रों के जाप से शनिदेव प्रसन्न भी होंगे और जीवन के संकट भी दूर होंगे। शनि जयंती की शाम को पश्चिम दिशा की ओर एक दीपक जलाएं। इसके बाद “ऊं शं अभयहस्ताय नमः” का जप करें और कम से कम 11 माला “ऊं शं शनैश्चराय नमः” का जप करें। इसके अलावा, ” ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम” मंत्र का जाप करने से भी शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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