टोक्यो। आम तौर पर किसी देश में ओलंपिक खेलों(Olympic games) का आयोजन उसके लिए राजनीतिक (Political) और आर्थिक (Economic) दोनों रूपों से बड़े फायदे का मौका होता है। लेकिन अब जापान(Japan) के स्टॉक एक्सचेंज (Stock exchange) में निवेश(Investment) करने वाले कई निवेशकों (Many investors) ने कहा है कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से देश जो माहौल है, उसके बीच ओलंपिक (Olympic) रद्द कर दिए जाने से उन्हें ज्यादा फायदा होगा। उन निवेशकों की राय है कि ऐसे माहौल में ओलंपिक खेलों ओलंपिक खेलों(Olympic games) का आयोजन होने पर लेने को देने पड़ सकते हैं।
खबरों के मुताबिक इन्वेस्टर्स में बनती राय से जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Prime Minister of Japan Yoshihida Suga) पर दबाव बढ़ गया है। खेलों को रद्द करने के लिए सुगा पर पहले से ही देश के जनमत का दबाव है। विपक्षी पार्टियों ने भी अब ये मांग तेज कर दी है। कई फंड मैनेजरों और ट्रेडर्स कहा है कि ऐसे माहौल में ओलंपिक खेलों (Olympic games) का आयोजन एक बड़ा जुआ है। इसके नतीजों को लेकर वे नर्वस हैं। उन्हें डर है कि ओलंपिक खेलों के आयोजन से देश में कोविड-19 महामारी की नई लहर आ सकती है। अभी देश तीसरी लहर से जूझ रहा है। अगर ओलंपिक के कारण चौथी लहर आई, तो जापान की अर्थव्यवस्था के लिए वह एक बड़ा झटका होगा।
सुमितोमो मित्सुई बैंक में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ब्रांच के महाप्रबंधक अरिहीरो नगाता ने कहा- ‘अब ज्यादा से ज्यादा लोग यह सोचने लगे हैं कि ओलंपिक का ना होना बेहतर रहेगा। उन्हें डर है कि इस आयोजन से देश में राजनीतिक अस्थिरता आ सकती है।’ गौरतलब है कि अक्तूबर में जापान में आम चुनाव होने हैं। आशंका यह है कि अगर ओलंपिक के कारण महामारी और फैली, तो प्रधानमंत्री सुगा और उनकी पार्टी के लिए प्रतिकूल स्थितियां बन जाएंगी। नगाता ने ध्यान दिलाया कि चूंकि अब विदेशी पर्यटक भी नहीं आएंगे, इसलिए ओलंपिक से होने वाले आर्थिक फायदे सीमित ही रहेंगे। गौरतलब है कि ओलंपिक्स के लिए विदेशी दर्शकों के आने पर रोक पहले ही लगाई जा चुकी है। अभी तक प्रधानमंत्री सुगा इन खेलों का आयोजन तय कार्यक्रम के मुताबिक अगले 23 जुलाई से कराने पर आमादा हैं। जबकि जनमत सर्वेक्षणों में आयोजन के खिलाफ राय जताने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। उधर सुगा के लिए जनसमर्थन में गिरावट आ रही है। एक सर्वे के मुताबिक अब यह सिर्फ 32 फीसदी रह गया है। साथ ही हाल के महीनों में तोक्यो स्टॉक एक्सचेंज में गिरावट का रुख रहा है। इसकी वजह टीकाकरण की धीमी गति के कारण अर्थव्यवस्था में जल्द सुधार की उम्मीदों का टूट जाना है। इस महीने के दूसरे हफ्ते में विदेशी निवेशकों ने लगभग सवा नौ अरब डॉलर के बराबर की रकम तोक्यो स्टॉक एक्सचेंज से निकाल ली। पिछले साल मार्च के बाद एक हफ्ते में कभी इतनी बड़ी रकम विदेशी निवेशकों ने नहीं निकाली थी। क्रेडिट सुइसे-जापान के उपाध्यक्ष हिरोमिची शिराकावा के मुताबिक विदेशी निवेशक जापान में संभावित राजनीतिक जोखिमों का आकलन कर रहे हैं। उन्हें अंदेशा है कि इस साल के चुनाव के बाद सुगा प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। गौरतलब है कि जापान में सुगा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को निवेशकों के अनुकूल माना जाता है। जापान में कोरोना महामारी अभी भी बेकाबू है। इसे देखते हुए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इसी हफ्ते अपने नागरिकों को सलाह दी कि वे जापान जाने से बचें। ऐसे माहौल में ओलंपिक पर मंडरा रहे अंदेशे और घने हो गए हैं।