भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में उच्च न्यायालय ने जेल में बंद कैदियों के लिए पैरोल के रास्ते खोल दिए। दरअसल, हाईकोर्ट की कमेटी ने निर्देश दिए हैं कि जेल में बंद 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष बंदी, 45 साल से ज्यादा उम्र वाली महिला बंदियों सहित उन सभी महिलाएं को 90 दिन के पैरोल पर छोड़ दिया जाए, जो जेल में अपने बच्चों के साथ रह रही हैं। ये निर्देश सभी जिला कोर्ट के न्यायाधीशों को दिए गए हैं। अदालत में इस तरह के आवेदनों पर तीन दिन में फैसला लेने के लिए कहा गया है।
पैरोल पर तीन दिन में लें फैसला
जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट की हाई पावर कमेटी के न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। हाई पावर कमेटी द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, जेल में बंद गर्भवती महिलाओं, 45 वर्ष से अधिक उम्र की कैदियों और गंभीर बीमारियों से पीड़ित कैदियों को पैरोल देने की बात कही गई। कमेटी ने अदालत में लंबित मामलों पर भी तीन दिन में फैसला सुनाने को कहा है।
इन गंभीर बीमारी को माना जाएगा आधार
हाईकोर्ट की कमेटी ने 90 दिन की पैरोल के लिए गंभीर बीमारियों की सूची भी जारी की है। इस लिस्ट में कैंसर, दिल के मरीज, शुगर के मरीज, एचआईवी पॉजिटिव, किडनी से संबंधित बीमारी, हेपिटाइटिस बी, अस्थमा, टीबी और 40 प्रतिशत से अधिक अक्षमता से जूझ रहे बंदियों को शामिल किया गया है।
इन निर्देशों पर भी देना होना ध्यान
कमेटी ने कहा है कि बंदियों के लिए हर 15 दिन में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएं। कोई बंदी संक्रमित मिले तो अलग रखकर उसका उपचार किया जाए। जेल में अन्य बंदियों के बीच नए कैदी को भेजने से पहले उसकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। यदि कोई कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसे तत्काल आइसोलेशन में रखा जाए। बाल सुधार गृह में बच्चों का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। बंदियों को वैक्सीन की दोनों डोज का इंतजाम किया जाए। इसके अलावा कमेटी ने 18 से 44 साल के बंदियों के टीकाकरण कराने के संबंध में भी निर्देश जारी किए।
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