जयपुर। कोरोना की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है और चिकित्सा व्यवस्था बेपटरी हुई है। धीरे-धीरे आंकड़ों में हालात सुधरते नजर आ रहे हैं लेकिन सिस्टम की हालात जस की तस बरकरार है। अस्पतालों में मरीज अभी भी जिंदगी मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। इतना ही नहीं अब तो मरीज की मौत के बाद परिजनों तक को संघर्ष पर मजबूर होना पड़ रहा है।
कोटा में ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां बेटी की मौत के बाद पिता ने शव को कार की अगली सीट पर रखा और उसे सीट बेल्ट बांधकर अपने घर लेकर पहुंचा। इस मामले में परिजनों का आरोप है कि मरीज की मौत के बाद शव को वार्ड से बाहर लाने के लिए वार्डबॉय द्वारा रुपए मांगे जा रहे थे। रुपए नही देने पर वार्डबॉय ने शव के हाथ तक नहीं लगाते। इतना ही नहीं अस्पताल में खड़े एम्बुलेंस चालक शव को श्मशान तक पंहुचाने का मनमाना किराया वसूल रहे है। पीड़ित परिजनों जैसे तैसे व्यवस्था कर शव को शमशान तक लेकर जा रहे है।
डीसीएम क्षेत्र निवासी मधुराजा ने बताया कि उनकी भांजी सीमा (34) झालावाड़ की निवासी थी। कोरोना पॉजिटिव आने पर उसे 24 अप्रैल को नए अस्पताल में भर्ती कराया था। उसे आईसीयू में हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया था। तीन दिन पहले उसे सामान्य वार्ड (टीबी वार्ड) में शिफ्ट करने को कहा। वो स्टॉफ और डॉक्टर से गिड़गिड़ाए, मिन्नतें की अभी इसे हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत है और आईसीयू में ही रहने दो, लेकिन स्टॉफ व डॉक्टर ने एक नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि दूसरे गंभीर मरीज को शिफ्ट करना है। आईसीयू बेड खाली करना होगा। सामान्य वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई प्रॉपर नहीं थी। उसकी तबीयत बिगड़ने लगी ओर रविवार को मौत हो गई।
शव बाहर लाने के 1 हजार मांगे
मधुराजा ने बताया कि अस्पताल बिना पैसे के कोई काम नहीं होता। हर आदमी को पैसे देने पड़ रहे है। सीमा का शव वार्ड से बाहर लाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी। वार्ड बॉय ने 1 हजार रुपए की डिमांड की। पैसा नहीं देने पर उसने शव के हाथ तक नहीं लगाया। शव को वार्ड से नीचे तक स्ट्रेचर पर लाए् फिर जैसे तैसे सीमा के पिता ने कंधे पर शव रखकर गाड़ी तक पहुंचाया। यहां खड़े एम्बुलेंस चालक से झालावाड़ शव ले जाने के लिए बात की। एक एम्बुलेंस चालक ने 35 हजार किराया बताया। दूसरे ने 18 हजार,वहीं तीसरे ने 15 हजार रुपए बताए।
कार की आगे की सीट पर रखा शव
मधुराजा ने बताया कि एम्बुलेंस चालकों द्वारा मनमाना किराया मांगने के बाद सीमा के पिता ने खुद की कार से बेटी का शव को ले जाने का फैसला किया। कार की आगे की सीट पर शव को रखा। शव को सीट बेल्ट से बांधा और झालावाड़ लेकर पहुंचे। इस दौरान एक ओर परिजन भी मृतक के शव को अपनी कार में रखकर ले जा रहे थे। वहां भी कोई वार्डबॉय नहीं था। परिजनों ने खुद ही शव को स्ट्रेचर से उठाकर कार में रखा।
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