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    खुफिया रिपोर्ट से खुलासा: कोरोना वायरस फैलने से करीब 1 महीने पहले वुहान लैब का स्टाफ पड़ा था बीमार

  • May 24, 2021

    वाशिंगटन। कोरोना वायरस(Corona Virus) को दुनियाभर में फैले अब करीब डेढ़ साल हो चुके हैं। लेकिन इस वायरस की उत्पत्ति (Origin of virus) को लेकर अभी भी सबके मन में सवाल है। इस बीच, कोरोना वायरस(Corona Virus) को लेकर एक खुफिया रिपोर्ट (Intelligence report) सामने आई है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान एक बाऱ फिर से चीन(China) की ओर ला दिया है। एक अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट (American intelligence report) में दावा किया गया है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस (Corona Virus) के फैलने से करीब एक महीने पहले वुहान लैब (Wuhan Lab) का स्टाफ बीमार पड़ा था।
    रिपोर्ट में बताया गया है कि वुहान लैब के तीन शोधकर्ता इस दौरान बीमार पड़ गए थे। अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की ख़बर के मुताबिक़, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी (Wuhan Institute of Virology) के तीन शोधकर्ता नवंबर 2019 में बीमार पड़े थे और उन्होंने अस्पताल की मदद मांगी थी। अमेरिका की इस ख़ुफ़िया रिपोर्ट में वुहान लैब के बीमार शोधकर्ताओं की संख्या, उनके बीमार पड़ने के समय और अस्पताल जाने से जुड़ी विस्तृत जानकारियां दी गई हैं।



    इस खुफिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि ये ख़ुफ़िया जानकारियां उस दावे की जांच दोबारा कराने पर बल देंगी जिनमें वुहान लैब से कोरोना वायरस फैलने की आशंका जताई गई है। अमेरिका की ओर से ये खुफिया रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization (WHO) एक बैठक करने जा रहा है जिसमें कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में अगले चरण की जांच पर चर्चा का अनुमान है।
    विश्व स्वास्थ्य संगठनWorld Health Organization (WHO) की एक टीम कोरोना वायरस से जुड़े तथ्यों का पता लगाने के लिए वुहान गई थी। व हां कई महीनों तक जांच दल ने इसको लेकर पड़ताल की। इस दौरान वे चीन की वुहान लैब भी गए। इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं है कि कोरोना वायरस, वुहान की लैब से दुनिया भर में फैला। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस को ‘चीनी वायरस’ और ‘वुहान वायरस’ कहते थे और चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की थी। उन्होंने चीन पर जांच में विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को पूरा सहयोग न देने और वुहान लैब से जुड़ी जानकारियां छिपाने के आरोप भी लगाए थे।
    इससे पहले पता चला था कि चीन में मानव कोशिकाओं पर इस वायरस के असर को लेकर 2015 से प्रयोग चल रहे थे। ये प्रयोग वुहान के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट में चल रहे थे और इनमें बैट लेडी नाम से ख्यात महिला विज्ञानी शी झेंग-ली शामिल थी। शी अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के प्रमुख कोरोना वायरस शोधकर्ता राल्फ एस बारिक के साथ भी काम कर रही थी।
    कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर अभी तक जितनी भी आशंकाएं जताई गई हैं, उनमें सबसे पुख्ता वुहान की लैब से उसके बाहर आने की है। यह मानना है विज्ञान के मामलों के प्रमुख लेखक निकोलस वाडे का। एटॉमिक साइंटिस्ट्स के बुलेटिन में वाडे ने लिखा है कि वुहान की लैब से कोरोना वायरस के बाहर निकलने की आशंका सबसे ज्यादा है। क्योंकि पूरे चीन में वह इकलौती लैब है जहां पर कोरोना वायरस पर शोध चल रहा था। यहां पर चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोना वायरस को जेनेटिक इंजीनियरिंग से बदलकर उसका मानव कोशिकाओं पर प्रभाव देखा जा रहा था। ये प्रयोग दक्षिण चीन स्थित युन्नान की गुफाओं में रहने वाले सैकड़ों प्रजातियों के चमगादड़ लाकर उनके भीतर के वायरस निकालकर किए जाते थे।

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