कोरोना के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस के मामले भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लोगों के मन में इस लेकर एक डर पैदा होने लगा है. हालांकि डरने की जगह इसके बारे में ज्यादा जागरुक होने की जरूरत है. मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट के MD और प्रसिद्ध कार्डियोवास्कुलर थोरेसिक सर्जन रमाकांत पांडा ने ब्लैक फंगस (Black fungus) के बारे में विस्तार से बताया है कि ये कैसे होता है और इससे बचाव के लिए क्या तरीके अपनाए जा सकते हैं.
डॉक्टर पांडा का कहना है कि ब्लैंक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. भारत में कई लोग यौगिक जलनेति (पानी से नाक की सफाई) करते हैं. इस अभ्यास में ज्यादातर लोग पानी की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं. काफी साल पहले गंदे पानी से जलनेति करने की वजह से ब्लैंक फंगस के मामले सामने आते थे. आइए जानते हैं कि ब्लैक फंगस क्या होता है.
ब्लैक फंगस के लक्षण-
इसका लक्षण इस पर निर्भर करता है कि ये शरीर के किस हिस्से में फैल रहा है. हालांकि आमतौर पर ये साइनस, फेफड़ों और दिमाग में फैलता है. इसके आम लक्षण नाक का बंद हो जाना, नाक की ऊपरी परत पर पपड़ी जम जाना, नाक की स्किन काली पड़ जाना है. इसके अलावा आंखों में दर्द और धुंधला दिखाई देना भी इसके लक्षण हैं.
अगर कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है और उसे ब्लैक फंगस हो जाता है तो उसके फेफड़े और खराब हो जाते हैं. उसे सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द और फेफड़ों में पानी भरने समस्या ज्यादा होने लगती है. इसके अलावा बुखार सिर दर्द, खांसी, खून की उल्टी और मानसिक बीमारी भी इसके लक्षण हैं.
ये बीमारी बहुत तेजी से फैलती है. आमतौर पर इसका पता ENT विशेषज्ञ या फिर MRI के जरिए लगाता जा सकता है. ये उन लोगों को भी हो सकता है जो पानी को बिना उबाले या छाने जलनेति करते हैं. डॉक्टर पांडा कहते हैं कि ब्लैक फंगस की ये बीमारी (disease) हमारे बीच हजारों सालों से मौजूद है लेकिन पिछले 10 सालों में इसके गिनेचुने मामले ही सामने आए हैं.
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