img-fluid

इजराइल-फिलिस्तीन संघर्षः कामना करें कि यह युद्ध विराम स्थायी हो

May 21, 2021

 

डॉ. प्रभात ओझा

इजराइल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच संघर्ष भले थम गया हो, अशांति का डर खत्म नहीं हुआ है। इस आशंका को विघ्नसंतोषियों की धारणा कह सकते हैं, पर उन खबरों को क्या कहेंगे, जिनमें बताया गया है कि सीजफायर की घोषणा के बाद भी दक्षिणी इसराइल में चेतावनी के सायरन बजे थे। ये सायरन तभी बजते हैं, जब गाजा पट्टी की ओर से रॉकेट हमले होते हैं।

उधर, फिलिस्तीनी मीडिया ने भी कहा कि फिलिस्तीन के क्षेत्र में फिर हवाई हमले हुए हैं। युद्ध के पुराने विवरण ऐसी घटनाओं से युद्ध के जारी रहने की आशंका को खारिज भी करते हैं। किसी भी संघर्ष विराम को अमल में लाने की कार्रवाई युद्ध में दागे रॉकेट और उन्हें नष्ट करने वाली मिसाइलों की तरह कुछ सेकेंड में ही प्रभावी नहीं हो पातीं। हम सायरन बजने और फिर से हवाई हमलों के कारण युद्ध के फिर से जारी होने की आशंका को इसी मान्यता के तहत खारिज कर सकते हैं। सीजफायर के बारे में जो प्रारम्भिक तथ्य सामने आए हैं, उनके मुताबिक भी ऐसी कोई आशंका जल्द उत्पन्न नहीं होगी। आखिर युद्ध विराम के लिए अमेरिका भी कोशिश कर रहा था।

अमेरिका की कोशिश के बावजूद युद्ध आगे नहीं बढ़े, इतिहास ऐसी गवाही भी नहीं देता। ताजा मामला अफगानिस्तान का ही है, जहां बार-बार के प्रयास निरर्थक साबित होते रहे हैं। इजराइल-फिलिस्तीन विवाद भी इस सीजफायर के साथ समाप्त हो गया, ऐसा नहीं है। इजराइल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच लड़ाई उस समय शुरू हुई थी, जब हमास ने यरुशलम पर लंबी दूरी के रॉकेट दागे थे। इजराइल इस संगठन को हमेशा से ही आतंकवादी मानता आया है। प्रश्न यह है कि जिस अल-अक्सा मस्जिद में फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों और इजराइली पुलिस के बीच झड़पों के बाद युद्ध शुरू हुआ था, खुद उसका भविष्य क्या होगा? अल-अक्सा को यहूदी और अरब, दोनों ही अपना पवित्र स्थल मानते हैं। फिर पूर्वी यरुशलम के शेख जर्रा इलाक़े का क्या होगा, जिसे यहूदी अपनी जमीन बताते हैं? इसी जमीन से तो फिलिस्तानी परिवारों को निकालने की धमकी दी गयी, अथवा दी जाती रही है।


संक्षेप में बताएं तो 1967 में मध्य पूर्व युद्ध के बाद इसराइल ने पूर्वी यरुशलम को अपने नियंत्रण में ले लिया था। वह पूरे शहर को अपनी राजधानी बताता है। फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य में अपने आजाद देश की राजधानी मानते हैं। यूनेस्को की कार्यकारी समिति के एक प्रस्ताव से भी विवाद बना रहा। समिति ने प्रस्ताव पारित कर कहा था कि अल-अक्सा मस्जिद पर मुसलमानों का ही अधिकार है। यहूदियों का उससे ऐतिहासिक संबंध बताना निराधार है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस प्रस्ताव को व्यापक मंजूरी नहीं मिली है। दुनियाभर के यहूदी उसे अपना टेंपल माउंट कहते रहे हैं। दूसरी ओर, यरुशलम में ही ईसाइयों की आस्था का केंद्र ‘द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर’ भी है। दुनिया भर के ईसाई मानते हैं कि ईसा मसीह को यहीं  सूली पर चढ़ाया गया था। यहीं प्रभु यीशु के पुनर्जीवित हो उठने वाली जगह भी है।मुसलमान तो मानते ही हैं कि पैगंबर मोहम्मद मक्का से यहीं आए थे। अल अक्सा मस्जिद के पास जो ‘डॉम ऑफ रॉक’ है, वहीं से पैगंबर मोहम्मद जन्नत के लिए रवाना हुए। यहूदी समुदाय ‘होली ऑफ होलीज’ को इब्राहिम की ओर से अपने बेटे इसाक की कुर्बानी की जगह बताता है। यहूदी तो यहीं से दुनिया के निर्माण की सच्चाई भी बताया करते हैं।

तथ्य और सवाल बहुत हैं। इसके लिए संक्षेप में ओटोमन साम्राज्य पर नजर डालनी होगी, तो तुर्की का हुआ करता था। पहले विश्वयुद्ध में इस पर ब्रिटेन के कब्जे के बाद यहां जियोनिज्म वाली विचारधारा के तहत दुनियाभर से यहूदी आने लगे। वे अपने एक स्वतंत्र राष्ट्र की कल्पना कर रहे थे। ब्रिटेन ने 1917 में फिलिस्तीन राष्ट्र के प्रति संकल्प जताया, पर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वह स्वयं मजबूत नहीं रहा। उसने इस मसले से पल्ला झाड़ लिया। विश्वयुद्ध के ही साल अस्तित्व में आए संयुक्त राष्ट्र संघ में यह मामला गया। दो साल बाद राष्ट्रसंघ ने इसे अरब और इजराइल के बीच बांटकर यरुशलम को स्वतंत्र रखने का फैसला किया। अरब-इजराइल के बीच युद्ध के कारणों में स्वाभाविक रूप से यरुशलम आता रहा है। वहां किस आबादी का वर्चस्व हो, इसके लिए संघर्ष होते रहे हैं।

फिलिस्तीन चाहता है कि इजराइल 1967 से पहले वाली अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर लौट जाय। स्वाभाविक है कि उसमें पूर्वी यरुशलम भी है। वह वेस्ट बैंक तथा गाजा पट्टी में स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र चाहता है। इसके विपरीत इजराइल यरुशलम से अपना दावा छोड़ने को कतई तैयार नहीं होता। वह यरुशलम को अपनी राजधानी से कम मानने की किसी भी स्थिति के लिए तैयार नहीं है। इजराइल और जॉर्डन के मध्य मौजूद वेस्ट बैंक को इजराइल ने 1967 से कब्जा कर रखा है। इसी तरह इजराइल और मिस्र के बीच गाजा पट्टी पर इजराइल का कब्जा है।

ताजा युद्ध के बारे में इजराइल ने कहा था कि वह अपना लक्ष्य हासिल किए बिना नहीं लौटेगा। सवाल यह भी है कि क्या उसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है? पूर्वी यरुशलम के शेख जर्रा इलाके पर किसका कब्जा है, यह भी देखना होगा। फिर सबसे बड़ा सवाल है कि फिलहाल युद्ध विराम में अहम भूमिका निभाने वाला अमेरिका तो पहले से ही इजराइल के साथ है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने यह स्वीकार किया है कि इसराइली प्रधानमंत्री ने अमेरिका के मिसाइल रोधी सिस्टम आयरन डोम की सराहना की है “जिसे दोनों देशों ने मिलकर विकसित किया है। बाइडेन कहते हैं कि इससे अनगिनत इसराइली नागरिकों की ज़िंदगी बची है-अरब और यहूदी दोनों की।”

बाइडन ने युद्धविराम के लिए मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी के प्रयासों की भी सराहना की है। देखना होगा कि ब्रिटेन की तरह किसी वक्त यह देश भी पूरे मसले से अलग न हो जाएं। अभी तो कम से कम अमेरिका इजराइल के साथ ही है। मुस्लिम देश क्या करते हैं, उनके रुख का भी इंतजार रहेगा। सबसे बड़ा बात कि यरुशलम के हिस्सों पर कब्जे की लड़ाई अभी खत्म कहां हुई।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार की पाक्षिक पत्रिका ‘यथावत’ के समन्वय संपादक हैं।)

Share:

Black Fungus को लेकर UP में भी महामारी घोषित, CM योगी ने जारी किए ये निर्देश

Fri May 21 , 2021
लखनऊ। शुक्रवार को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पोस्ट कोविड अवस्था में ब्लैक फंगस के संक्रमण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के परामर्श के अनुरूप प्रदेश सरकार सभी मरीजों के समुचित चिकित्सकीय उपचार की व्यवस्था कर रही है। केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में कोविड की तर्ज […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
मंगलवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved