ब्लैक फंगस के मरीज बढ़े, मगर पूरे प्रदेश में अभी तक मात्र 2592 इंजेक्शन ही मिले…
इंदौर। आईसीएमआर (ICMR) ने तो कोरोना संक्रमित मरीजों (corona infected patients) के इलाज से ही प्लाज्मा थैरेपी (plasma therapy) को बाहर कर दिया, जिसके चलते अब प्लाज्मा की मांग भी कम हो गई। हालांकि मरीजों की संख्या भी तेजी से घटने लगी है। दूसरी तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) भी अब आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं। कल ही 14859 इंजेक्शन तीनों कम्पनियों से प्रदेश को मिले हैं। अलबत्ता ब्लैक फंगस (black fungus) के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और उसमें इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शनों का टोटा है।
कोरोना से स्वस्थ या उपचाररत मरीजों में अब ब्लैक फंगस की बीमारी हो रही है। इंदौर में ही 150 से ज्यादा मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं और मात्र 200 एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरिसन-बी उपलब्ध हुए। प्रदेश के खाद्य नियंत्रक पी. नरहरि के मुताबिक अभी तक 2952 इंजेक्शन प्रदेश को मिले हैं और लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि जल्द से जल्द अधिक मात्रा में ये इंजेक्शन प्राप्त हो सके। वहीं रेमडेसिविर इंजेक्शनों (Remedisvir Injection) की आपूर्ति लगातार बढ़ रही है। कल भी जुबिलियंट ने 6450, हेट्रो ने 6729 और सनफार्मा ने 1680, इस तरह कुल 14859 इंजेक्शनों की आपूर्ति की है। वहीं दूसरी तरफ ऑक्सीजन की सप्लाय भी अब आसान हो गई और कल पूरे प्रदेश में 612 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की उपलब्धता रही। इंदौर में भी अब ऑक्सीजन का संकट नहीं है। वहीं प्लाज्मा डोनेशन की मांग में भी कमी आ गई है। दरअसल अभी आईसीएमआर (ICMR) ने कोरोना उपचार के लिए जो दवाइयां या थैरेपी मान्य है, उससे प्लाज्मा थैरेपी (plasma therapy) को बाहर कर दिया है। हालांकि इंदौर में ही सैंकड़ों मरीजों को इससे फायदा भी हुआ है और पिछले 14 माह से इस थैरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभी भी हालांकि कुछ मरीजों को प्लाज्मा दिया जा रहा है। मगर मांग में कमी आ गई है। दामोदर युवा संगठन जैसे लगातार प्लाज्मा डोनेट करवाने वाले संगठन के प्रमुख अशोक नायक का कहना है कि अभी प्लाज्मा की मांग फिलहाल घट गई है।
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