देश कोरोना महामारी (Corona epidemic) की दूसरी लहर से गंभीर तरीके से प्रभावित है । कोरोना वायरस के लक्षण का समय पर पता लगाना बेहद आवश्य है । कई बार कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी मामले गंभीर होते चले जाते हैं. जरा सी लापरवाही के चलते हल्के लक्षण अचानक से गंभीर हो सकते हैं। इसलिए लक्षणों में मामूली बदलाव को ट्रैक या मॉनिटर करना और एहतियात बरतना बहुत महत्वपूर्ण है।
कैसे बिगड़ते हैं केस- कोविड-19 के अधिकांश मामले हल्के लक्षणों से शुरू होते हैं। हालांकि मरीज के शरीर को घेरे बैठा म्यूटेंट स्ट्रेन का विकास और जटिलताओं के बढ़ने से संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। ऐसे में मरीज को अस्पताल में दाखिल करने की नौबत आ सकती है।
लक्षण को इग्नोर करना-
इंफेक्शन को लेकर जागरूक न रहना या इनकार करना ही अपने आप में बड़ी गलती है, जिसका हर्जाना आपकी सेहत को चुकाना पड़ता है। कोविड-19 के सामान्य, असामान्य या गंभीर लक्षणों की निगरानी करना बेहद महत्वपूर्ण है। ये कोविड-19 के हल्के लक्षणों को गंभीर समझने के ही समान है। इसका इलाज कभी एलेर्जिक रिएक्शन या वायरल समझकर न करें।
यदि शरीर में कोई संदिग्ध लक्षण दिख रहा है तो आपको कम से कम एक बार कोविड-19 (COVID-19) का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। समय पर इंफेक्शन का पता लगाकर आप दूसरे लोगों को भी बचा सकते हैं। शरीर में दिख रहे लक्षणों को समझें और डॉक्टर्स की सलाह पर उसका नियमित इलाज करें।
समय से पहले स्टेरॉयड-
इन्फ्लेमेशन (Inflammation) और गंभीरता को कम करने के लिए कई बार अस्पताल में भर्ती मरीजों को स्टेरॉयड दिए जाते हैं। हालांकि कोविड-19 के हर मामले में स्टेरॉयड देने की आवश्यकता नहीं है। इसका अंधाधुंध उपयोग और हल्के लक्षण वाले रोगियों पर इस्तेमाल बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। कोरोना से जूझ रहे मरीज या तो घर में रिकवरी पर ध्यान दें या फिर डॉक्टर्स की सलाह पर ही दवाओं का इस्तेमाल करें।
डॉक्टर्स दावा कर रहे हैं कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड के निरंतर इस्तेमाल से कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि म्यूकोमाइकोसिस (Mucomycosis) या ब्लैक फंगस इंफेक्शन भी स्टेरॉयड के गलत इस्तेमाल के कारण हो सकते हैं। भारत में अब तक इसके कई मामले भी सामने आ चुके हैं।
कोविड स्पेशलिस्ट की सलाह-
रिकवरी पीरियड (Recovery period) के दौरान मरीज एक सबसे बड़ी गलती जो करते हैं, वो ये कि वे कभी कोविड-19 के इलाज में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स (Specialist doctors) से संपर्क नहीं करते हैं। कोविड-19 के मरीजों को अटेंड करने वाला एक अच्छा जानकार डॉक्टर ही आपको सही दवा और लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है। इनकी मदद लेकर न सिर्फ आप तेजी से रिकवर हो सकते हैं।
टेस्टिंग में देरी-
इंफेक्शन का नेचर और लक्षणों का पैटर्न कन्फ्यूजिंग होने की वजह से कई बार लोग टेस्ट कराने में बहुत देरी लगा देते हैं, जो कि रिकवरी टाइमलाइन को भी प्रभावित करता है। टेस्टिंग में देरी और लापरवाही की वजह से भी कई हेल्दी लोगों की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है। इसलिए लक्षणों को ध्यान में रखते हुए टेस्ट जरूर कराएं। अगर आप टेस्ट नहीं करवा रहे हैं तो कम से कम सेल्फ आइसोलेशन में खुद की देखभाल करें।
इन बातों को अनदेखा करना
– कोविड-19 मरीजों के लिए ये बहुत जरूरी है कि वे SP02 के लेवल और बुखार से लेकर सभी जरूरी बातों को मॉनिटर करें। यदि आपकी बॉडी में ऑक्सीजन लेवल 92 प्रतिशत से नीचे जा रहा है। इसी तरह यदि किसी इंसान का बुखार लगातार सातवें दिन तक नीचे नहीं आ रहा है तो ये भी खतरे की घंटी है। हाई बीपी या डायबिटीज के मरीजों को भी इसके लक्षण नजरअंदाज नहीं करने चाहिए ।
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