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    इंदौर में 12 से 15 स्थानों पर बनेंगे म्युकर क्लिनिक

  • May 14, 2021

     


    ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए आईएमए और डॉक्टर की टीम तैयार कर रहा प्रशासन
    इंदौर। संजीव मालवीय
    शहर में कोरोना के साथ ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानि म्युकरमाइक्रोसिस (Mucormycosis) के मरीज भी अब बढऩे लगे हैं। एमवाय में इसका इलाज शुरू हो चुका है और कुछ प्राइवेट अस्पताल (Private Hospital) भी अपने स्तर पर इन मरीजों का इलाज कर रहे हैं। सरकार से मिले आदेश के बाद शहर में 12 से 15 स्थानों पर म्युकल क्लीनिक (Mucal Clinic) खोले जाने की योजना है, जिसकी जल्द ही घोषणा की जाएगी। चूंकि यह बीमारी किसी एक डॉक्टर के इलाज से नहीं होगी, इसलिए डॉक्टरों (Doctors) की पैनल और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। माना जा रहा है कि आज या कल में तीन तरह के 15 म्युकर क्लीनिक के नाम तय कर दिए जाएंगे, जहां से मरीजों को अस्पतालों में रैफर किया जा सकेगा।


    कोरोना के मरीजों के इलाज के दौरान दिए गए हैवी एंटीबायोटिक और स्टेराइड से ब्लैक फंगस बढ़ता जा रहा है। विज्ञान की भाषा में इस बीमारी को म्युकरमाइक्रोसिस (Mucormycosis) कहा जाता है। इंदौर में बढ़ती मरीजों की संख्या को देखते हुए अब जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन समिति भी चिंता में हैं और अब इसकी रोकथाम के लिए एक प्रोटोकाल तय किया जा रहा है। प्रदेश आपदा प्रबंधन समिति के डॉ. निशांत खरे का कहना है कि इसकी रोकथाम के लिए मेडिकल कम्युरिटी को जुटना होगा, क्योंकि यह किसी एक विभाग या विशेषज्ञ का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और शहर के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम तैयार कर रहे हैं, जो इस बीमारी को लेकर एक प्रोटोकाल तैयार करेगी और इसके इलाज को लेकर सलाह भी दे सकेगी। यह कमेटी आज तय हो जाएगी। इस बीमारी में शुगर पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है और स्टेराइड के डोज कोरोना में मरीजों को किस मात्रा में दिया जाए, इसको लेकर भी कमेटी अपनी राय देगी। इस बीमारी में डायबिटीज, ईएनटी, आई, छाती और सर्जन के डॉक्टरों को एकसाथ काम करना होगा। शहर में मरीजों की संख्या को देखते हुए एमवाय अस्पताल में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक वार्ड तैयार कर लिया गया है और इस वार्ड में मरीजों का उपचार किया जा रहा है। 12 से 15 स्थानों पर म्युकर क्लीनिक बनाए जा रहे हैं, जहां इस बीमारी के मरीजों को देखा जा सकेगा और उनका इलाज करवाया जा सकेगा। ये क्लीनिक अस्पतालों में रहेंगे। इसमें 3 से 4 सरकारी अस्पताल शामिल रहेंगे तो कुछ अस्पताल आयुष्मान कार्ड वाले भी रहेंगे, जिससे गरीबों को इलाज कराने में मदद मिल सके। इसके साथ ही 3 से 4 ऐसे अस्पताल भी रखे जा रहे हैं, जहां संपन्न वर्ग भी अपना इलाज करवा सकते हैं।


    डाटा भी जुटाना होगा
    कोरोना के पहले चरण में जिस तरह से सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने डाटा जुटाकर इलाज किया था। उसी तरह इसका भी डाटा जुटाना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मरीजों की पहचान के लिए हमें लोगों को जागृत करना होगा और उनसे कहना होगा कि ऐसे मरीज जहां कहीं भी दिखे, उनकी जानकारी डाटा सेंटर पर देवें।

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