भोपाल। जबलपुर (Jabalpur) के गैलेक्सी हॉस्पिटल (Galaxy Hospital) में 22 अप्रैल की रात अस्पताल प्रबंधन (Hospital Management) की लापरवाही (Negligence) से जिन पांच कोरोना मरीजों (Corona patients) की मौत हुईं। उससे जुड़ी रिपोर्ट कलेक्टर ने 24 घंटे में मांगी, लेकिन प्रशासन की टीम ने 17 दिन बाद जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री (Chief Minister) के दौरे से पहले दी। घटना के बाद निजी अस्पताल (Hospital) से रेडक्रॉस (Red Cross) में 25 लाख का चंदा भी लिया गया। इसके बाद जांच रिपोर्ट (Report) में लीलाहवाली की गई। काफी किरकिरी के बाद जांच समिति ने दो दिन पहले ही जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंप दिया। इसमें खुलासा हुआ है कि मरीजों को तड़पता छोड़ कर डॉक्टर (Doctor) और स्टाफ भाग गए थे। ऑक्सीजन सुपरवाइजर (Oxygen supervisor) प्रशिक्षित नहीं था। जांच रिपोर्ट के बाद प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा (CMHO Doctor Sanjay Mishra) ने जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज (FIR registered) कराने के आदेश दिए हैं। इसके दो दिन बाद मौत के जिम्मेदारों पर केस दर्ज नहीं हुआ, लेकिन सोमवार को मुख्यमंत्री (Chief Minister) के जबलपुर पहुंचने से पहले केस दर्ज कर लिया गया।
शासन तक पहुंची गड़बड़ी की शिकायत
जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल में मरीजों की मौत के बाद जांच प्रतिबेदन तैयार करने में हीलाहवाली एवं नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन में शामिल आरोपियों को बचाने का मामला राज्य शासन तक पहुंचा। सोमवार को मुख्यमंत्री ने अफसरों की बैठक में दो टूक कहा कि ऐसे आरोपियों को छोड़ा नहीं जाएगा। सीएम के जबलपुर प्रवास के दौरान ही आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हो गया। बताया गया कि जबलपुर में मरीजों की मौत की रिपोर्ट में गड़बड़ी की शिकायत सीएमओ तक भी पहुंची। 24 घंटे में जांच रिपोर्ट मांगने वाले कलेक्टर ने कार्रवाई की बजाए, आरोपी अस्पताल संचालक से रेडक्रास को चंदा दिलाया। जांच प्रतिवेदन से पहले कलेक्टर ने रेडक्रॉस में चंदा भी ले लिया था। इसके बाद ही जांच रिपोर्ट में देरी की गई। जब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह मामला उठाया तब राज्य सरकार ने दखल दिया। सरकारी सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री का जबलपुर दौरा भी इसी के चलते तय हुआ था। कलेक्टर ने संयुक्त कलेक्टर शाहिद खान की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की।
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