भोपाल । कोरोना (Corona) आपदा को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में स्वतः संज्ञान याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर गुरुवार को दिन भर सुनवाई चली. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की डिविजन बेंच के समक्ष कुल 12 याचिकाओं पर पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से पूछा है कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सरकार की क्या तैयारी है. मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि छह जिलों में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी से कोई मौत नहीं हुई है. इतना ही नहीं सरकार ने कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. आपको बता दें कि 30 अप्रैल को हाईकोर्ट (High Court) ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए थे और यह आदेश दिया था कि सरकार इन तमाम बिंदुओं पर एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा 87 पन्नों की एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें सबसे प्रमुख ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर सरकार ने अपना पक्ष रखा. सरकार के जवाब के मुताबिक, मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की कोई भी कमी नहीं है बल्कि मांग से ज्यादा ऑक्सीजन उपलब्ध है. वहीं पिछली सुनवाई में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मसले पर भी सरकार ने विस्तृत जवाब प्रस्तुत किया. सरकार ने अदालत को बताया कि 10 जिलों में अप्रैल माह में 87 मौतें हुई थी, जिनके कारणों के पीछे ऑक्सीजन की कमी को दर्शाया गया था. इस मामले में 6 जिले जिनमें शहडोल, माधव नगर, छतरपुर, भोपाल, ग्वालियर, कटनी और शहडोल जिले से जवाब आए हैं, जिसमें यह बताया गया है कि एक भी मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई थी.
सरकार ने अपने जवाब में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen plant) स्थापित करने अस्पतालों को सब्सिडाइज रेट पर नेशनल बैंकों से लोन उपलब्ध कराने, रेमडेसिवीर इंजेक्शन से वितरण प्रणाली को लेकर नई व्यवस्था लागू करने समेत ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का जवाब भी पेश किया गया. सरकार के जवाब पर हाईकोर्ट (High Court) ने बिंदुवार चर्चा की. सरकार का जवाब सुनने के बाद अदालत मित्र नमन नागरथ ने कई आपत्तियां उठाई. उनका कहना था कि ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर सरकार के जवाब से स्पष्ट होता है कि ऑक्सीजन की उपलब्धता के बावजूद सप्लाई चे में बड़ी गड़बड़ी है.
अदालत (Court) को यह भी बताया गया कि आज भी राज्य की निर्भरता ऑक्सीजन को मामले में केंद्र पर ही है क्योंकि आज की तारीख तक सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे प्रदेश में आखिर कब तक ऑक्सीजन लिक्विड प्लांट की स्थापना कर लेगी. वही रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remdesiveer Injection) की आपूर्ति के लिए सरकार द्वारा निजी अस्पतालों के लिए दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है. इस विषय पर भी अदालत को कोर्ट मित्र द्वारा अवगत कराया गया हाईकोर्ट में वह सूची प्रस्तुत की गई जिसमें निजी अस्पतालों को आवंटित होने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remdesiveer Injection) की जानकारी थी. इसके मुताबिक, सरकार ने कुछ बड़े अस्पतालों को सीधे इंजेक्शन निर्माताओं से खरीदी की छूट दे दी है जबकि कुछ पर प्रतिबंध लगा हुआ है. आखिर सरकार का यह दोहरा मापदंड क्यों है? हाईकोर्ट ने इस मसले पर भी सरकार से जवाब मांगा है.
वहीं कोरोना डेडिकेटेड श्मशान में शवों के दाह संस्कार की संख्या और सरकारी आंकड़ों में पेश हो रहे आंकड़े पर भी हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. दिनभर हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बिंदुवार तमाम मसलों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. वहीं मामले की अगली सुनवाई 17 मई को नियत की है.
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