ब्रसेल्स। अमेरिका(America) में जो बाइडन प्रशासन (Joe Biden Administration) के ‘बाय अमेरिकन’ Buy american products (अमेरिकी उत्पाद खरीदो) अभियान के जवाब में अब यूरोपियन यूनियन European Union (ईयू) ‘बाय यूरोपियन’ Buy European products का प्रावधान करने पर विचार कर रहा है। अब यहां भी ये राय मजबूत हुई है कि महामारी(Pandemic) के बाद अर्थव्यवस्था(Economy) को सुधारने और नई नौकरियां पैदा करने के लिए ईयू क्षेत्र में बने उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि यूरोपीय उद्योगों को सहारा मिल सके। पिछले दिनों अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन (President Joe Biden) ने कहा था कि मुख्य टेक्नोलॉजी का उत्पादन अमेरिका(America) में ही होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि नौकरियां पैदा करने का एक ही सिद्धांत है- बाय अमेरिकन। अमेरिका सरकार अब वही उत्पाद खरीदेगी, जिनसे देश में रोजगार पैदा हो।
बताया जाता है कि ऐसी भावना तेजी से यूरोप में भी गहरी हुई है। आने वाले हफ्तों में यहां एक नया कानून बनाया जाएगा। इसके तहत सरकारी खरीद में यूरोपीय उद्योगों को अहमियत दी जाएगी। जिन देशों में यूरोपीय कंपनियों से खरीदारी पर रोक होगी, वहां की कंपनियों पर वैसी ही रोक ईयू क्षेत्र में लग जाएगी। यूरोपीय उद्योगों को सहारा देने के लिए ईयू एक-दो खरब डॉलर की सरकारी खरीद योजना को मंजूरी देने पर विचार कर रहा है। इसके तहत रेलवे, हाईवे और सार्वजनिक आईटी सिस्टमों से जुड़ी खरीदारी ईयू क्षेत्र की सरकारें करेंगी। इस योजना को औपचारिक रूप से ‘अंतरराष्ट्रीय खरीदारी पहल’ नाम दिया गया है। जानकारों का कहना है कि जब सबसे पहले इसका विचार आया था, तब मकसद जापान और दक्षिण कोरिया में अपनाई गई संरक्षणवादी नीतियों का जवाब देना था। लेकिन जो बाइडन के दौर में अमेरिका में ‘बाय अमेरिकन’ पर दिए जा रहे जोर से इस पहल में नई गति आ गई है। यूरोप में एक भय यह भी है कि अगर ऐसा कदम नहीं उठाया गया, तो सरकारी टेंडर हासिल करने के क्षेत्र में चीनी कंपनियों का दबदबा बन जाएगा। खबरों के मुताबिक जर्मनी और नॉर्डिक देश पहले ऐसे किसी कदम के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने अंदेशा जताया था कि ऐसे कदम से यूरोप दुनिया की सबसे बेहतरीन टेक्रोनलॉजी से वंचित हो जाएगा। साथ ही बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म होने से सरकारों को महंगी खरीदारी करनी पड़ेगी। लेकिन ताजा रिपोर्टों के मुताबिक जर्मनी और नॉर्डिक देशों का विरोध अब कमजोर पड़ गया है। इस बारे में ईयू ने एक मसविदा तैयार कर लिया है। उस पर अगले 20 मई ईयू देशों के व्यापार मंत्रियों की बैठक में चर्चा की जाएगी। यूरोपीय संसद में जर्मनी से निर्वाचित दक्षिणपंथी सदस्य डैनियल कास्पेरी ने कहा- ‘यह अच्छा संकेत है कि ईयू परिषद आखिरकार इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंच रही है।’ जानकारों ने कहा है कि इस बारे में ईयू में बन रही सहमति एक तरह से अमेरिका को चेतावनी है। यूरोपीय संसद में फ्रांस से निर्वाचित सदस्य मेरी पियरे वेद्रें ने कहा- ‘अमेरिका में अपनाई गई बाय अमेरिकन की नीति ने यूरोपीय देशों और यूरोपीय कंपनियों में जागरूकता ला दी है। हमें अब अपनी क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए अपने माध्यमों को मजबूत करना होगा।’ वेद्रें मध्यमार्गी ‘रिन्यू यूरोप’ ग्रुप की मुख्य सदस्य हैं। उन्होंने कहा- ‘हमें अपने सहभागियों को यह समझने के लिए मजबूर करना होगा कि हम खुली नीति पर चलते हैं और इस पर ही चलना चाहते हैँ। लेकिन ये बात दोतरफा और न्यायोचित ढंग से ही हो सकती है। हमें चीन और अमेरिका के बीच पिस जाने से बचने के कदम उठाने होंगे।’ गौरतलब है कि यूरोपीय कंपनियों को चीनी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। चीनी कंपनियों ने यूरोपीय बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इसलिए बीते कुछ समय से ईयू सरकारी टेंडरों से चीनी कंपनियों को बाहर रखने की नीति पर चल रहा है। अब ऐसी ही नीति अमेरिकी कंपनियों के बारे में भी अपनाई जा सकती है।