नई दिल्ली। अस्पतालों में बिस्तरों (Hospitals Beds) की तरह अब सरकार(Government) ने ऑक्सीजन ट्रैकर(Oxygen tracker) भी शुरू किया है, ताकि किस अस्पताल (Hospital) में ऑक्सीजन(Oxygen) कितनी है यह पता चल सके, लेकिन यह ट्रैकर(tracker) भी गलत साबित हुआ। बुधवार को दिल्ली कोरोना एप(Delhi corona app) के अनुसार ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (National Heart Institute, East of Kailash) में 1000 दिनों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन भंडार (Medical oxygen reserves for 1000 days) होने की जानकारी दी।
एप के अनुसार बुधवार सुबह 10:23 बजे 999 दिन और 23 घंटे के लिए ऑक्सीजन स्टॉक बचा था। हालांकि, जब पूछताछ की गई तो अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि उनके पास दोपहर 2:45 बजे 952 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन बची है। यह स्टॉक आधी रात तक चल सकता है।
शहर में अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर की जानकारी देने वाले दिल्ली कोरोना ऐप में ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर भी जानकारी देना शुरू किया गया है। ईस्ट ऑफ कैलाश की तरह दूसरी जगहों के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन चंद घंटे की बची थी, लेकिन दिल्ली सरकार के ऐप की मानें तो इन अस्पतालों में ऑक्सीजन की पूरे साल कोई कमी नहीं है। यह स्थिति तब है जब दिल्ली सरकार ने ही आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि पिछले एक सप्ताह में उन्हें केंद्र सरकार से मांग के अनुरूप केवल 47 फीसदी ऑक्सीजन ही प्राप्त हुई है। सरकार के अनुसार सात दिन से दिल्ली के अस्पतालों में 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की प्रतिदिन मांग है, जिसके एवज में उन्हें केवल 432 मीट्रिक टन ही प्राप्त हुआ है। पिछले एक दिन की बात करें तो उन्हें केवल 555 मीट्रिक टन ही मिला। सोशल मीडिया पर एसओएस कॉल का सिलसिला लगातार चल रहा है। पिछले एक दिन में 48 जगहों से कॉल पहुंचे, जिनमें से 20 कॉल सिलिंडर के लिए, 13 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और 15 कॉल सप्लायर के आए हैं। ऑक्सीजन बेड को लेकर सरकार के पास एसओएस के नाम पर 4936 कॉल पहुंचे हैं। इसी दौरान सरकार ने 36 मीट्रिक टन सोशल मीडिया पर आईं कॉल के जरिए उपलब्ध कराई है।