मध्यप्रदेश को मात्र 12 लाख वैक्सीन डोज ही मिलेंगे इस माह
मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन (Vaccination) 5 मई से शुरू करवाने की घोषणा की है। मगर कल और परसों 6 मई को मात्र 104 सत्र के जरिए पूरे प्रदेश में 10 हजार 400 वैक्सीन ही लगेंगे। यानी इंदौर में इन दो दिनों में बमुश्किल हजार-दो हजार वैक्सीन लगाने का कोटा तय होगा। वहीं 15 मई तक 1 लाख 48 हजार वैक्सीन डोज पूरे प्रदेश में लगाए जाएंगे। जबकि 18 साल से 45 साल की उम्र की आबादी ही इंदौर में जहां 16 लाख से ज्यादा, तो प्रदेश में साढ़े 3 करोड़ बताई गई है, जिसमें 45 साल से अधिक उम्र के ही अभी डेढ करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सीन (Vaccine) लगवाने से बचे हैं। यानी 5 करोड़ आबादी को कुल 10 करोड़ डोज लगना है। अगर 5 से 15 मई के बीच 11 दिनों में मात्र 1 लाख 48 हजार लोगों को ही पूरे प्रदेश में वैक्सीन लगाई जाती है तो इस हिसाब से तो 50 साल से अधिक का समय अभी की तय आबादी को वैक्सीन (Vaccine) लगाने में लगेगा। आने वाले दिनों में अगर यह रफ्तार बढ़ाकर 5 गुना से अधिक भी कर दी तब भी 5-10 साल का समय लग जाएगा और अभी तो पोर्टल पर पंजीयन करवाने वालों को ही वैक्सीन लगेगी और पूरे प्रदेश में लगभग 80 हजार लोग अभी तक अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इनको वैक्सीन लगने में ही कई हफ्ते और महीने इस गति से लग जाएंगे। तब तक कोरोना संक्रमण का शिकार होना पड़ेगा।
सूत्रों का कहना है कि इस माह मध्यप्रदेश में लगभग 12 लाख वैक्सीन डोज (Vaccine Dose) ही मिलने की उम्मीद है, क्योंकि दोनों कम्पनियां स्पष्ट कह चुकी है कि देशभर से जितने ऑर्डर मिले हैं उसकी पूर्ति करने में कई महीने लगेंगे और रातों रात उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता। कल की तारीख तक 30 करोड़ से अधिक डोज के ऑर्डर इन कम्पनियों को मिल गए और मध्यप्रदेश में 5 से 6 लाख पुराने डोज पड़े हैं, जो 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगना है और 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए तो फिलहाल वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते अत्यंत ही धीमी गति से कल से ये वैक्सीन लगवाने का अभियान शुरू किया जा रहा है। इंदौर शहर में ही 16 लाख लोगों को ये वैक्सीन लगना है और 45 साल से अधिक उम्र के भी 4 लाख से अधिक लोग अभी बचे हैं। वहीं वे लोग अलग चिंता में पड़ गए, जिनको दूसरा डोज लगवाना है और यही कारण है कि कल निगम के केन्द्रों पर बड़ी संख्या में भीड़ वैक्सीन लगवाने के लिए जुट गई, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन संभव ही नजर नहीं आया। यानी एक तरफ कोरोना संक्रमण का शिकार होकर लोग बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं, उसी तरह अब वैक्सीन लगवाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा, जिसमें 18 से 45 साल के वे लोग मायूस हैं जिन्होंने बड़े उत्साह के साथ अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था।
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