5 मई 2021
सफ़ेद तन हरी पूँछ, न बुझे तो नानी से पूछ
“मूली”
मुझे उल्टा कर देखो ,
लगता हूँ में नौजवान,
कोई अलग ना रहता मुझसे बच्चा ,बूढ़ा और जवान
“वायु”
पत्थर पर पत्थर ,पत्थर पर पैसा,
बिना पानी का घर बनाए वो कारीगर कैसा
“मकड़ी”
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