अहाते में ही ऑक्सीजन सिलेंडर, बेड के लिए कतार
इन्दौर। कोरोना महामारी के बढऩे के चलते आधी- अधूरी व्यवस्था के साथ शुरू किए गए इंदौर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital) में मरीजों की इस तरह कतार लगी हुई है कि परिजन जहां अपने मरीजों के एडमिशन के लिए बाहर कतार लगाए खड़े हैं वहीं अंदर अहातों मेें भी ऐसी ही कतार लगी हुई है, जहां ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) के जरिए मरीजों को फोरी राहत दी जा रही है, ताकि बेड खाली होते ही उन्हें अस्पताल में शिफ्ट किया जा सके।
अस्पताल प्रशासन पर एडमिशन का इस कदर दबाव है कि यहां मरीजों का तांता लगा हुआ है। शहरभर के सरकारी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक के परिजन और बाहर से गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों के लिए भी इंदौर का सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल (Super Specialty) एकमात्र विकल्प बचा हुआ है। इस दबाव के चलते अस्पताल का एक-एक बेड जहां भरा हुआ है वहीं आईसीयू से लेकर ऑक्सीजन बेड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे है। ऐसी स्थिति में अधिक दबाव बनाने वाले लोगों को अहातों में ही रखकर इलाज करने की मजबूरी बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन ने इन अहातों में ही ऑक्सीजन सिलेंडर रखकर मरीजों का उपचार शुरू कर दिया है, ताकि जैसे ही बेड खाली हो वैसे ही उन्हें वहां शिफ्ट कर उपचार किया जा सके या गंभीर स्थिति होने पर उन्हें अन्य उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में केवल उन्हीं मरीजों को दाखिल किया जा रहा है, जिनका ऑक्सीजन लेवल सामान्य से कम आ रहा है।
सर्वाधिक दबाव सरकारी अस्पतालों पर … सुपर स्पेशलिटी पहली जरुरत
शहर के सामान्य वर्ग के लोगों के इलाज के लिए वैसे तो एमटीएच से लेकर अन्य अस्पताल भी मौजूद हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में सर्वाधिक दबाव सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल (Super Specialty) पर बना हुआ है, क्योंकि यहां इलाज की सारी सुविधाओं के साथ ही दवाओं की भी कोई कमी नहीं है। प्रशासन ने यहां ऑक्सीजन के लिए भी अतिरिक्त और तत्काल व्यवस्था कर रखी है। इसलिए शासकीय कर्मचारियों के परिजनों से लेकर अन्य लोग भी इसी अस्पताल में भर्ती होने का दबाव बनाए रहते हैं।
रेपिड टेस्ट थमाकर पॉजीटिव मरीजों को भी विदा कर रहे हैं सरकार अस्पतालों से
सुपर स्पेशलिटी (Super Specialty) सहित सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का इस कदर दबाव है कि डॉक्टरों द्वारा जिस किसी भी मरीज का ऑक्सीजन लेवल सामान्य नजर आता है वैसे ही उसे रेपिड टेस्ट की रिपोर्ट थमाकर विदा कर दिया जाता है। इस टेस्ट रिपोर्ट में उन्हें निगेटिव बताया जाता है, लेकिन आरटीपीसीआर की रिपोर्ट में वे लोग पॉजीटिव होते हैं। इन्हेें कोरोना की मानक दवाइयां देकर घर पर ही इलाज करने के लिए कहा जाता है। हालांकि कई मरीज रेपिड टेस्ट में स्वयं को निगेटिव पाकर बेपरवाह हो जाते हैं और कोरोना गाइड लाइन का पालन छोडक़र स्वयं को गंभीर स्थिति में पहुंचा लेते हैं।
यहां भी रसूखदारों का दबदबा…जिसकी पहुंच उसे मिल रहे हैं रेमडेसिविर से लेकर सारे हाई एंटीबायोटिक
इंदौर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital) में रसूखदारों का दबदबा बना हुआ है। चूंकि अस्पताल में मुफ्त इलाज किया जा रहा है साथ ही मरीज के किसी भी परिजन को बाहर से दवाइयां लाने का दबाव नहीं बनाया जाता है। इस अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) से लेकर सारे हाई एंडटीबायोटिक मौजूद है और यदि अस्पताल प्रशासन तक मरीज या उसके परिजन की पहुंच है तो शहर के अन्य अस्पतालों से बेहतर चिकित्सा सुविधा उसे सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल (Super Specialty Hospital) में उपलब्ध है। इस कारण भी शहर के सारे लोगों का दबाव इस अस्पताल पर बना हुआ है। अस्पताल प्रशासन संभालने वाले डॉ. सुमित शुक्ला का कहना है कि यहां मरीजों का दबाव होने के बावजूद हमारे द्वारा उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के भरपूर प्रयास किए जा रहे है।
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