नई दिल्ली। देश में कोरोना के दूसरे लहर का कहर लगातार जारी है, महामारी से संक्रमित होकर लोगो के जान गंवाने का ऑकड़ा भी दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। महामारी ने हाहाकार मचा दिया है, हालात तो ये हैं कि रोज दिन की शुरुआत होते ही कोरोना से हुई मौत के ऑकड़ो के बताने के साथ शुरुआत करनी पड़ रही है।
ना चाहते हुए भी हम लोगों को उन लोगो की मौत की खबरें बतानी पड़ रही हैं, जो हम लोगो के आइडियल है। खैर, थोड़ा भावनाओँ में मैं भी बह गया। महामारी को मात देने के लिए दुनिया ने प्रयास तेज कर दिये हैं, सभी स्टडी में जो बात सामने आ रही है, वह दिल दहला देने वाली है। ब्रिटिश पत्रिका ‘नेचर’ में छपी स्टडी में कहा गया है कि संक्रमित लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद भी मौत का खतरा ज्यादा होता है।
इसके अलावा CDC द्वारा जारी एक दूसरी स्टडी में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि COVID-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों में कुछ महीनों के बाद भी नए लक्षण पाए जा रहे हैं, जो काफी चिंतनीय है। ये खबरें और स्टडी में सामने आई बातों को बताने में कोई खुशी नहीं हो रही है, बल्कि इन बातों को आप तक पहुंचाने से आप सजग रहेंगे, इसके साथ ही आप सावधानी भी बरतेंगे।
नेचर में छपी इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने डेटाबेस से 87,000 से ज्यादा कोरोना मरीजों और लगभग 50 लाख सामान्य मरीजों की जांच की। इस दौरान उन्होंने पाया कि कोरोना से संक्रमित ना होने वालों की तुलना में COVID-19 के मरीजों में संक्रमण के बाद 6 महीने तक मौत का खतरा का 59% से भी ज्यादा था।
वहीं स्टडी के नतीजों में सामने आया कि 6 महीनों में हर 1000 में से लगभग 8 मरीजों की मौत लंबे समय तक रहने वाले कोरोना के लक्षणों की वजह से हो जाती है और इन मौतों को कोरोना से जोड़ कर नहीं देखा जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि 6 महीनों में हर 1,000 मरीजो में 29 से अधिक मौतें ऐसी हुईं जिसमें मरीज 30 से अधिक दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे थे।
इस गंभीर मसले पर हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहां तक महामारी से मरने वालों की बात है, ये निष्कर्ष बताता है कि वायरस से संक्रमित होने के तुरंत बाद हो रही मौतें बस ऊपरी संख्या है। स्टडी के अनुसार जिन लोगों में कोरोना के लक्षण लंबे समय तक रहते हैं, उनमें सांस की दिक्कत के अलावा भी बीमार होने की संभावना और बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि मरीजों में आगे चलकर स्ट्रोक, नर्वस सिस्टम की बीमारी, डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी, डायबिटीज की शुरूआत, दिल संबंधी बीमारी, डायरिया, पाचन शक्ति खराब हो जाना, किडनी की बीमारी, ब्लड क्लॉट, जोड़ों में दर्द, बालों का झड़ना और थकान जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। शोध के मुताहबिक मरीजों को अक्सर एक साथ इनमें से कई चीजों की शिकायत हो सकती है। जिस व्यक्ति में COVID-19 जितना गंभीर होता है, उसे आगे चलकर सेहत संबंधी दिक्कत होने की ज्यादा संभावना रहती है।
जबकि बात करें CDC की तो हाल में अपनी नई स्टडी जारी की है जो COVID-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों पर है। इस स्टडी में पाया गया कि कोरोना के लगभग दो-तिहाई मरीजों ने 6 महीने के बाद किसी ना किसी नए लक्षणों की समस्या के साथ वापस डॉक्टरों से संपर्क किया। CDC की ये स्टडी 3,100 से भी ज्यादा लोगों पर की गई है।
शोध में पाया गया कि इनमें से कोई भी मरीज अपने शुरूआती संक्रमण में अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ था। लगभग 70 फीसद लोगों ने हल्के संक्रमण से ठीक होने के 1 से 6 महीने के अंदर फिर से अपने डॉक्टर से संपर्क किया। वहीं लगभग 40 फीसद लोगों को तो किसी विशेषज्ञ से दिखाने की जरूरत पड़ गई। शोधकर्ताओं ने कहा कि डॉक्टरों को पता होना चाहिए कि उनके पास आने वाले मरीज ऐसे भी हो सकते हैं जो कोरोना से ठीक होने के बाद किसी नए लक्षण के साथ आए हों।
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