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    कल है संकष्‍टी चतुर्थी व्रत, इस विधि से करें पूजा, भगवान गणेश की होगी आसमी कृपा

  • April 29, 2021

    वैशाख मास (Vaishakh month) की शुरूआत हो चुकी है धार्मिक मान्‍यता के अनुसार वैशाख महीने संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi fast) प्रत्येक महीने में आता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 अप्रैल, दिन शुक्रवार को है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन गणेश भगवान (Lord Ganesha) की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश भगवान को समर्पित है। गणपति जी रिद्धि-सिद्धि देने वाले देवता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं संतान के आरोग्य जीवन और उनकी लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में…

    संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त
    चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 29, 2021 को रात्रि 10:09 बजे
    चतुर्थी तिथि समाप्त – अप्रैल 30, 2021 को शाम 07:09 बजे



    चन्द्रोदय – रात्रि 10:38 बजे

    संकष्टी चतुर्थी पर शुभ योग
    पंचांग (Almanac) के अनुसार इस बार संकष्टी चतुर्थी पर शिव और परिघ योग रहेगा। ये दोनों ही योग बहुत शुभ माने जाते हैं। 30 अप्रैल सुबह 08 बजकर 03 मिनट तक परिघ योग रहेगा। इसके बाद से शिव योग (Shiva Yoga) आरंभ हो जाएगा। यदि कोई शत्रु से संबंधित मामला हो तो परिध योग में विजय प्राप्ति होती है। शिव बहुत ही शुभ फलदायक माना जाता है। 

    संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
    हिन्दू धर्म (Hindu religion) के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। यही कारण है कि सभी शुभ कार्यों से पहले गणपति जी की ही पूजा-अर्चना की जाती है और सभी कार्यों की सिद्धि के लिए उनका व्रत रखा जाता है। गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इस व्रत को करने वाले जातकों के जीवन के कष्ट और बाधाएं गणेश भगवान हर लेते हैं।

    गणेश जी की ऐसे करें पूजा
    संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजाघर की साफ सफाई करें।

    गणपति जी Ganpati) के सामने आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें।

    इसके बाद आप गणपति जी की विधिवत पूजा करें।

    भगवान गणेश जी की प्रिय चीजें पूजा के दौरान उन्हें अर्पित करें और गणपति जी को मोदक का भोग लगाएं।

    संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय (Sunrise) के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है ।

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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