ब्रुसेल्स। तुर्की (Turkey) में महिलाओं को कितना मान-सम्मान दिया जाता है, इस बात से पर्दा तब ही उठ गया था जब हाल ही में देश की राजधानी अंकारा(Ankara) में आयोजित यूरोपीय संघ की एक बैठक (European Union Meeting) हुई थी। इस बैठक में खुद यूरोपियन कमीशन की महिला प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen, the European Commission’s female chief) को बैठने के लिए ही नहीं पूछा गया, उन्हें किसी ने कुर्सी नहीं दी। अपने साथ हुए इस बर्ताव को लेकर मंगलवार को उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen) ने प्रतिक्रिया दी। दरअसल, मंगलवार को यूरोपीय संसद में एक भाषण के दौरान उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen) उस घटना को याद भावुक हो गईं और कहा कि केवल एक महिला होने की वजह से मेरे साथ इतना बुरा सलूक किया गया।
बता दें, सात अप्रैल को अंकारा में आयोजित यूरोपीय संघ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए यूरोपीय संघ की महिला अध्यक्ष उर्सुला और कई अन्य शीर्ष अधिकारी पहुंचे थे। जब उर्सुला बैठक स्थल पर पहुंची, तो हॉल में सिर्फ दो कुर्सियां पड़ी थीं, जिन पर तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कब्जा जमा लिया। उर्सुला हैरत में पड़ गईं और थोड़ी देर वहीं खड़ी रहीं। कुर्सी पर बैठे दोनों नेता ये सब देखते हुए भी चुपचाप बैठे रहे और किसी ने भी उन्हें कुर्सी ऑफर करने की जहमत नहीं उठाई। बाद में उन्हें एक सोफे पर बिठा दिया गया।
यूरोपीय कमीशन का अध्यक्ष होने के नाते उर्सुला को अपने साथ ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। इससे भी ज्यादा हैरत करने वाला व्यवहार तुर्की के राष्ट्रपति का था, जिन्होंने ना तो अपनी मेहमान को तवज्जो दिया ना ही महिला के प्रति सम्मान दिखाया। उस घटना को याद करते हुए लेयन ने कहा, ‘जब तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान मेरे सहयोगी मिशेल ने इकलौती बची कुर्सी ले ली, तो मैं काफी व्यथित हुई। मैं पुरुषों के बीच बिल्कुल अकेली पड़ गई थी। केवल एक महिला होने की वजह से मेरे साथ इतना बुरा सलूक किया गया। मैं यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला हूं। मुझे इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं थी, लेकिन ऐसा हुआ।’ लेयन ने आगे कहा, ‘ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं एक महिला हूं। अगर मैंने सूट-बूट और टाई पहनी होती तो क्या ऐसा होता? अच्छा हुआ वहां कैमरे थे। इसके फोटो और वीडियो पूरी दुनिया ने देखे। उनमें न तो किसी हेडलाइन की, न किसी सबटाइटल और न किसी ट्रांसलेशन की जरूरत थी। उस फोटोग्राफ ने दुनिया को खुद ही सब कुछ बता दिया।’ उर्सुला ने यह भी कहा कि यहां बात किसी प्रोटोकॉल या कुर्सी की नहीं है, बल्कि यह दिखाने के लिए हैं कि हम कौन हैं। यह उन मूल्यों का मामला है, जिसके लिए दुनिया और हम खड़े हैं, पर इस घटना से पता चलता है कि महिलाओं से हमेशा और हर जगह ऐसा व्यवहार होता है। इस घटना को लेकर यूरोपीय संघ के कार्यकारी प्रवक्ता एरिक मैमर ने कहा कि निश्चित रूप से ये हैरान करने वाली बात थी। वैसे भी यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष होने के नाते उन्हें यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और तुर्की के राष्ट्रपति के समकक्ष बिल्कुल उसी तरीके से बैठाया जाना चाहिए था।