कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने का ऐलान कर दिया है। आगामी 28 अप्रैल से इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और 1 मई से वैक्सीनेशन का काम भी शुरू होगा। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकारें और प्राइवेट अस्पताल भी अपने स्तर पर 50 फीसदी तक वैक्सीन खरीद सकते हैं। कई राज्यों ने बिल्कुल मुफ्त में वैक्सीन लगाने का ऐलान भी कर दिया है।
अभी तक भारत में मंजूर हो चुके वैक्सीन करोड़ों लोगों को लगाया जा चुका है। वैक्सीनेशन के आंकड़ों से यह भी पता चल रहा है कि गंभीर स्तर की बीमारी से निपटने में मदद मिल रही है। लेकिन इसके बावजूद भी कई लोगों अभी भी वैक्सीन के बारे में सही जानकारी नहीं होने की वजह से हिचक रहे हैं। उनके मन में कई ऐसे भ्रम हैं, जिनकी वजह से वे वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते हैं। इन्हीं बातों को देखते हुए आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ अफवाहों और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं।
अफवाह : कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक होने के बाद वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं है।
सच्चाई : जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो गए है, ऐसे लोगों के लिए कोई तरीका नहीं है जिससे पता चल सके कि उन्हें दोबारा कोविड-19 नहीं होगा। एक बार संक्रमित होने के बाद आपके शरीर में एंटीबॉडीज बनते हैं, जो भविष्य में होने वाले संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसे प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं। लेकिन कुछ समय के बाद यह भी कम होता जाता है। वैक्सीन की मदद से आपका इम्युन सिस्टम नये वायरस को पहचानने मदद करता है और अगली बार जब वायरस शरीर में जाए तो उससे लड़ता है।
अफवाह : इतनी जल्दी वैक्सीन तैयार हो गई है। क्या यह सुरक्षित है?
सच्चाई : जिन वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है, वो सुरक्षित हैं। यह बात सच है कि वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड समय में कई वैक्सीन तैयार किया। लेकिन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा केवल उन्हीं वैक्सीन को मूंजरी दी गई है, जो जो इंसानों के लिए हर मायने में सुरक्षित है। वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया में हर एक छोटी से छोटी बात का पूरा ध्यान दिया गया है। आप बिना किसी संशय के दोनों में से किसी भी वैक्सीन के दोनों डोज़ लगवा सकते हैं।
अफवाह : वैक्सीन की वजह से कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
सच्चाई : कोई भी कोविड-19 वैक्सीन लगवाने की वजह से आपको संक्रमण नहीं होगा। इनमें से किसी भी वैक्सीन में कोरोना वायरस के लाइव वायरस का इस्तेमाल नहीं किया गया है। कुछ मामलों में इन वैक्सीन के लगवाने के बाद इम्युनिटी बनने की प्रक्रिया बुखार के लक्षण मि सकते हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स ने इसे लेकर स्पष्ट कर दिया है कि यह सामान्य है और शरीर में प्रतिरोधक क्षमता तैयार हो रही है।
अफवाह : कोविड-19 भी एक तरह के फ्लू वायरस से होता है, इसलिए फ्लू की वैक्सीन लगवाने से ही काम हो जाएगा।
सच्चाई : एक्सपर्ट्स ने साफ कर दिया है कि पिछले साल कोविड-19 को लेकर उठाए गए उपाय की वजह से सामान्य सीज़न में फ्लू देखने को नहीं मिला। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि कोविड-19 और फ्लू के लिए एक ही वैक्सीन से काम हो जाएगा। फ्लू से बचने के लिए अलग वैक्सीन है, जबकि कोविड-19 के लिए अलग वैक्सीन है।
अफवाह : वैक्सीन लगवाने के बाद कोविड-19 को लेकर एहतियात नहीं बरतनी होगी।
सच्चाई : इंसानों के लिए कोई भी वैक्सीन तब तक सुरक्षित नहीं रह सकती है, जब तक पूरी आबादी और वैक्सीन के दूसरे कैरियर को इससे सुरक्षित कर लिया जाएगा। स्मॉलपॉक्स के मामले में भी ऐसा ही किया गया था। 1977 तक स्मॉलपॉक्स का अंतिम वैक्सीन लगाया गया और 1980 में ऐलान किया गया अब यह संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो चुका है।
अब यह अमेरिका और रूस के लैब में फ्रोजेन सैम्पल्स के रूप में मौजूद है। कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस संक्रमण से आप तब तक पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सकते हैं, जब तक हर किसी को यह वैक्सीन नहीं लग जाता है। ऐसे में वैक्सीन लगवाने के बाद भी आपको एहतियात बरतने की जरूरत है।
नोट : इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य सुझाव के लिए हैं। इसे मेडिकल सलाह के रूप में नहीं माननी चाहिए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved