संकष्टी चतुर्थी व्रत हर माह में पड़ता है। वैशाख माह में संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi fast) 30 अप्रैल शुक्रवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और हर बाधा मिट जाती है। यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती के पुत्र गणेश (God Ganeshaa) भगवान को समर्पित है। गणेश भगवान रिद्धि, सिद्धि के देवता हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं संतान के सेहतमंद जीवन और लंबी आयु की कामना के साथ करती हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश भगवान का दिन है। यही वजह है कि इस संकष्टी चतुर्थी पर की जाने वाली पूजा का विशेष फल मिलेगा।
संकष्टी चतुर्थी 2021 शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी -30 अप्रैल 2021, शुक्रवार को
संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय का समय – 10:48 रात
चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चन्द्रोदय नहीं है।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 29 अप्रैल 2021 को रात 10:09 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 30 अप्रैल 2021 को शाम 07:09 बजे
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व:
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी को प्रथम देव माना गया है,यही वजह है कि हर शुभ कार्य से पहले उनकी ही पूजा-अर्चना (worship) की जाती है। और उनका व्रत रखा जाता है। गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इस व्रत को करने वाले जातकों के जीवन के कष्ट और बाधाएं गणेश भगवान हर लेते हैं।
गणेश जी की पूजा विधि:
भगवान गणेश की पूजन विधि
-सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें। इसके बाद गणेश को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। अब गणेश जी (Ganesh Ji) को वस्त्र चढ़ाएं। अगर वस्त्र नहीं हैं तो आप उन्हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें। अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं। अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल करें। अब नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल करें। इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिणा प्रदान करें। अब अपने
परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है। इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति (Ganapati) के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें। अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है। इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें। पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
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