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    युवाओं को कम्युनिस्ट विचारधारा से जोड़ने काम कर रही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी

  • April 23, 2021

    बीजिंग। चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) ने देश के जनमानस पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए अब विश्वविद्यालयों (Universities) पर नजर डाली है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी वर्ष में छात्रों को कम्युनिस्ट विचारधारा (Communist ideology) से लैस करने की एक विशेष योजना यहां बनाई गई है। जानकारों का कहना है कि चीन के आधुनिक इतिहास में विश्वविद्यालयों ने अहम भूमिका(Universities play an important role in China’s modern history) निभाई है। शी अब उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
    शी इस हफ्ते सिंगहुआ यूनिवर्सिटी गए। वहां छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- ‘आपको लाल (कम्युनिस्ट) और प्रोफेशनल दोनों बनना चाहिए।’ शी ने कहा- ‘अपनी आस्था को मजबूत बनाएं, हमेशा पार्टी और जनता के साथ खड़े हों, और पूरे यकीन के साथ चीनी स्वरूप वाले समाजवाद को अपने जीवन में उतारें।’ इसके बाद उन्होंने ये जुमला उछाला- अथक संघर्ष से शानदार फूल खिलते हैं।



    शी 1970 के दशक में सिंगहुआ यूनिवर्सिटी के ही छात्र थे। लेकिन उनकी पढ़ाई सांस्कृतिक क्रांति के कारण बाधित हो गई। तत्कालीन चेयरमैन माओ-से-तुंग ने छात्रों पर अपने प्रभाव के भरोसे दशक भर चली सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत 1966 में की थी, जिस दौरान देश में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल हुई। उसके बाद अब पहली बार छात्रों को केंद्रित करके पार्टी विचारधारा को आगे बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसी महीने चीन सरकार ने छात्रों को कम्युनिस्ट पार्टी का इतिहास पढ़ाने का एक अभियान शुरू किया। 15 अप्रैल को छठा राष्ट्रीय सुरक्षा शिक्षा दिवस मनाया गया। उस दिन चीन और हांगकांग में रैलियां निकाली गईं और कई दूसरे तरह के समारोह हुए।
    जानकारों का कहना है कि इस पूरे साल इस तरह के समारोह चलते रहेंगे। विश्लेषकों के मुताबिक इसके जरिए शी उन विचारों का प्रभाव खत्म करना चाहते हैं, जो कम्युनिस्ट पार्टी को अपने लिए असहज महसूस होते हैं। कुछ खबरों के मुताबिक ऐसे विचारों को आगे बढ़ाने वालों पर कार्रवाई की योजना भी बनाई गई है। इस साल आरंभ में शी ने एक भाषण में कहा था कि देश और विदेश में विरोधी ताकतें चीनी क्रांति और उसके इतिहास का इस्तेमाल चीन पर हमला करने, उसे बदनाम करने और उसकी छवि खराब करने के लिए करती हैं। उनका मकसद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व और समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना होता है।
    बीते हफ्ते चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी वर्ष में पार्टी के विचारों को फैलाने की एक योजना का ब्योरा दिया गया। इसमें 80 नारे शामिल किए गए हैं। उसका मुख्य संदेश एकता कायम रखते हुए आगे बढ़ने पर जोर देना है। इसमें लोगों को कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी और शी जिनपिंग के इर्द-गिर्द गोलबंद होने के लिए प्रेरित करने वाले नारे भी शामिल हैं। हांगकांग यूनिवर्सिटी स्थित चाइना मीडिया प्रोजेक्ट के मुताबिक माओ युग के बाद चीन में इस तरह का प्रचार अभियान कभी नहीं देखा गया था।
    जानकारों के मुताबिक ये प्रचार अभियान सिर्फ शैक्षिक संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि सरकारी रेडियो और टीवी के जरिए भी ‘पार्टी नेतृत्व को मजबूत करने’ का आह्वान जोरशोर से किया जाएगा। व्यापार घरानों से भी कहा गया है कि वे इस प्रचार अभियान में शामिल हों। आलोचकों का कहना है कि इस अभियान में पार्टी से असहमत लोगों की राय को दबाया जा रहा है। उनके मुताबिक इस हफ्ते पूर्व प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के एक लेख को सेंसर कर दिया गया। वेन ने ये लेख अपनी दिवंगत मां के बारे में लिखा था, लेकिन माना गया कि उसमें कई ऐसे हिस्से थे, जिन्हें देश की मौजूदा दिशा की आलोचना समझा गया। जानकारों का कहना है कि शताब्दी वर्ष में देश और पार्टी की दिशा को लेकर बहस छिड़ी हुई है। आशंका है कि प्रचार अभियान में शी के विरोधी विचारों को दबा दिया जाएगा।

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