नई दिल्ली। दिल्ली के न्यू उस्मानपुर निवासी 55 वर्षीय महेश वर्मा एम्स(AIIMS) में भर्ती हैं। इनकी हालत गंभीर होने पर आपातकालीन वार्ड(Emergency Ward) में भर्ती किया था जहां पता चला कि महेश को पीलिया (Jaundice) है और उनके लिवर को काफी नुकसान पहुंचा है। डॉक्टरों ने जब उनसे कुछ सवाल किए तो पता चला कि इम्युनिटी (Immunity) बढ़ाने के लिए वह दिन में चार से पांच बार काढ़ा पीते थे। मधुमेह(Diabetes) और उच्च रक्तचाप ( high blood pressure) उन्हें पहले से था और अब स्थिति ऐसी आ गई है कि उनकी रिकवरी भी काफी मंद दिखाई दे रही है। एम्स के डॉ. अनूप सराय ने यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि कोरोना से बचने के चक्कर में लोग नई आफत को न्यौता दे रहे हैं।
इस केस स्टडी के आधार पर जब देश के अन्य लिवर सर्जन से संपर्क किया तो हकीकत चौंकाने वाली सामने आई। देश के पांच शीर्ष सर्जन में से तीन ने बताया कि उनके पास पिछले एक साल में कई केस आ चुके हैं जिनमें से 40 फीसदी मरीजों का लिवर पूरी तरह से खराब हो चुका है। मेदांता अस्पताल के चर्चित लिवर सर्जन डॉ. अरविंद सोइन का कहना है। उनके पास अब तक छह ऐसे मामले आ चुके हैं जिन्होंने गिलोय सहित कई हर्बल उत्पादों का सेवन किया और बाद में उनका लिवर को नुकसान पहुंचा। इनमें से दो की मौत भी हो चुकी है और तीसरा मरीज लिवर प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहा है। मुंबई स्थित भाटिया अस्पताल की डॉ. आभा नाग्रल के अनुसार उनके पास 20 वर्षीय मरीज पीलिया के चलते गंभीर हालत में भर्ती हुई थी। यह मरीज चार सप्ताह से इम्युनिटी बूस्टर का सेवन कर रही थी। ऐसे अब तक उनके यहां 10 मरीज भर्ती हो चुके हैं। चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल के डॉ. सेल्वा कुमार ने बताया कि कुछ ही समय पहले उनके यहां छह साल का एक बच्चा भर्ती हुआ है जिसे उसके माता पिता काबसुरा कूदेनेर का सेवन करा रहे थे। इस बच्चे के लिवर को काफी नुकसान हुआ है। अब स्थिति लिवर प्रत्यारोपण की आ चुकी है। आयुष मंत्रालय के ही अनुसार अब तक देश में 700 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें हर्बल उत्पादों के सेवन से दुष्प्रभाव हुआ है। यह सभी मामले फॉर्माकोविजिलेंस प्रोग्राम के तहत दर्ज किए हैं। केरल स्थित राजगिरी अस्पताल के डॉ. फिलिप्स का कहना है कि भारत में हर्बल उत्पादों के 30 हजार से अधिक ब्रांड हैं लेकिन औद्योगिक आंकड़ों की कमी, बेहतर सरकारी मान्यता प्राप्त कौशल केंद्र न होना और उत्पादों को लेकर अधिक स्पष्टीकरण न होने से इसका नुकसान लोगों को हो रहा है। इसके अलावा आयुष को लेकर राज्यों में लागू नियमों में समानता न होना भी एक वजह है। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा का कहना है कि संक्रमण से बचने के लिए इम्युनिटी को बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए दिशा निर्देश मंत्रालय से जारी किए जा चुके हैं लेकिन बगैर चिकित्सीय परामर्श घर बैठे सोशल मीडिया या रिश्तेदारों के कहने से हर्बल उत्पादों पर भरोसा करना गलत है। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। - 60 फीसदी मामले ऐसे हैं जो चार सप्ताह से हर्बल उत्पादों का सेवन कर रहे हैं और पीलिया होने के बाद उन्हें भर्ती किया जा रहा है
- 90 फीसदी मरीजों की लिवर बॉयोप्सी की जांच में हर्बल उत्पादों की वजह से नुकसान होने की पुष्टि हुई है
- डॉक्टरों के अनुसार हर्बल उत्पाद का सेवन बंद करने और उपचार देने के बाद मरीज कुछ समय के लिए ठीक हो रहे हैं लेकिन इनके लिवर को वापस से स्वस्थ होने में काफी समय लग रहा है
- 95 फीसदी मरीजों में लिवर खत्म होने के पीछे मधुमेह, शराब का सेवन, मोटापा और फैटी लिवर कारण हैं लेकिन अब बेहिसाब हर्बल उत्पादों का सेवन भी इसमें जुड़ चुका है
- 72 फीसदी मरीजों ने व्हाट्सएप, सोशल मीडिया या फिर रिश्तेदारों के कहने से हर्बल उत्पादों का सेवन लेना किया शुरू