पचास मौतों पर चुप्पी
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के दो अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी कारण से इस सप्ताह 50 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो गई, लेकिन शासन-प्रशासन ने न तो इसकी पुष्टि की और न ही इस संबंध में कोई कार्रवाई की। मृतकों के परिजन चीखते चिल्लाते रहे, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ शवों को श्मशान पहुंचाने का काम किया। दरअसल इसलिए भी कार्रवाई नहीं हुई कि प्रशासन समय रहते इन अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर पाया। सामान्य दिनों में ऐसी घटना होती तो अंतरराष्ट्रीय खबर होती।
विधायक की जिद
टीकमगढ के युवा विधायक राकेश गिरी की जिद और धुन के पक्के हैं। ऑक्सीजन की कमी से मरते मरीजों के परिजनों की चीखों ने इस युवा विधायक को हिला दिया है। विधायक ने तत्काल एक करोड़ जुटाए और जिला अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने भूमि पूजन कर दिया है। अगले 15 दिन में टीकमगढ ऑक्सीजन के मामले में आत्म निर्भर हो जाएगा। विधायक का अगला टारगेट सीटी स्कैन मशीन लगवाने का है। इसके भी आदेश दिये जा रहे हैं।
दो भाजपा विधायकों के तीखे तेवर
कोरोना काल में भी भाजपा के दो विधायकों के तेवर ढीले नहीं पड़ रहे हैं। महाकौशल के अजय विश्नोई लगातार सत्ता और संगठन पर हमले कर रहे थे, लेकिन अब वे कोरोना काल में शासन और प्रशासन की लापरवाही को लेकर मुखर हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऑक्सीजन घोटाले का मामला उठाते हुए शासन से जवाब मांगा है। दूसरी ओर विन्ध्य के विधायक नारायण त्रिपाठी ने विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर बागी तेवर अपना लिए हैं। कोरोना के पीक समय में नारायण त्रिपाठी ने भोपाल में विंध्य प्रदेश का झंडा और चिन्ह जारी कर दिया है। पार्टी नेताओं की समझाईश का इन दोनों विधायकों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
बे-काम अफसरों की फौज
प्रदेश में कोरोना महामारी के समय तमाम आईएएस और आईपीएस अधिकारी संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। तब भी सरकार को मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय में बैठे योग्य और अनुभवी अफसरों की फौज दिखाई नहीं दे रही है। जिनकी योग्यता का लाभ कोरोना काल में लिया जा सकता है। सीधी भर्ती के अधिकारियों की बात की जाए तो लगभग 40 आईएएस मंत्रालय में और लगभग 25 आईपीएस पुलिस मुख्यालय में पदस्थ हैं। जिनके पास खास काम नहीं है। सरकार चाहे तो इनका उपयोग कोरोना की लड़ाई में किया जा सकता है।
असली नेताकी पहचान
कोरोना काल ने मध्यप्रदेश की जनता को असली और नकली नेताओं की पहचान करा दी है। इस समय 3 तरह के नेता दिखाई दे रहे हैं। एक वे जो कोरोना के पीक समय में ही जान पर खेलकर मैदान में डटे हुए हैं। कोरोना संक्रमितों की हर संभव मदद कर रहे हैं। दूसरे वे हैं जो हालत को लेकर चिंतित तो हैं, लेकिन वे घर में बैठकर विधायक निधि से राशि जारी कर रहे हैं और प्रशासन को पत्र लिखकर रोज नए सुझाव दे रहे हैं। तीसरे ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने अभी तक न तो मैदान में मोर्चा संभाला है, न विधायक निधि से राशि जारी की है और न ही प्रशासन के संपर्क में हैं। यह नेता कोरोना के डर से घरों में छिपे बैठे हैं।
विश्वास की गजब सक्रियता
संकट के समय में हौंसला देती हुई एक कविता हम होंगे कामयाब… काफी चर्चित है। इसमें व्यक्ति के विश्वास को हौंसले की संज्ञा दी है। भोपाल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग इस कविता को जीवंत करते नजर आ रहे हैं। वे पिछले 15 दिन से लगातार सक्रिय हैं। उनकी बहन, पत्नी और बेटा भी कोरोना की चपेट में आ गया है, लेकिन फिर भी विश्वास सारंग का हौंसला कम नहीं हुआ है। 24 घंटे मोबाइल ऑन रख रहे हैं और भोजन भी कार में बैठकर कर रहे हैं। तय है कि विश्वास सारंग फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल के लिए उदाहरण बन गए हैं।
और अंत में…
अभी तक पत्रकार ही आईएएस अधिकारी के काम काज के बारे में कलम चलाते रहे हैं, लेकिन पहली देखा कि प्रदेश के एक आईएएस ओपी श्रीवास्तव ने कोरोना काल में दिवंगत हुए पत्रकार प्रवीण श्रीवास्तव के बारे में बेहद भावुक लेख लिखा है। यूं तो प्रदेश में कई पत्रकारों के आईएएस अधिकारियों से लंबे संबंध रहे हैं, लेकिन किसी पत्रकार के निधन पर आईएएस ने इतना भावुक लेख लिखकर दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजलि दी है।
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