नई दिल्ली । कोरोना (Corona) की दूसरी लहर से देश के आर्थिक तंत्र पर असर के संकेत मिलने लगे हैं। निजीकरण (Privatization) प्रक्रिया भी इससे तेजी के साथ प्रभावित होती दिख रही है । देखा जाए तो चालू वित्त वर्ष के में India सरकार (Government ) ने जिन सरकारी उपक्रमों का विनिवेश किए जाने की योजना बनाई थी उनमें प्रमुख तौर पर एयर इंडिया (Air India), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और भारतीय जीवन बीमा निगम के आइपीओ (LIC IPO) शामिल है। इब इसमें भी देरी की संभावना बन रही है।
मोदी सरकार (Modi Government) ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। आम बजट में इसकी घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि विनिवेश व निजीकरण से वित्त वर्ष 2021-22 में हासिल राशि निर्धारित लक्ष्य से अधिक होने की उम्मीद है। अधिकारियों के इस भरोसे के पीछे सबसे बड़ी वजह एलआइसी का आइपीओ और भारत पेट्रोलियम का विनिवेश है।
एलआइसी के आइपीओ से ही सरकार को एक लाख करोड़ रुपये हासिल होने की संभावना है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने हाल ही में कहा है कि बीपीसीएल विनिवेश से 80 हजार करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हो सकता है। इन दोनों की सफलता बाजार के रुख से काफी हद तक तय होगी और कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए बाजार की प्रक्रिया अनिश्चित रहने की बात कही जा रही है।
वैसे, पिछले दोनों वित्त वर्षो यानी वर्ष 2020-21 और 2019-20 में विनिवेश लक्ष्य हासिल नहीं हो सका था।विनिवेश प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, विनिवेश के लिए निर्धारित लक्ष्य का अधिकांश हिस्सा इस वर्ष सितंबर से पहले पूरा करने की तैयारी है। पिछले दो महीनों के दौरान बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन (SCI), एयर इंडिया और आइडीबीआइ बैंक (IDBI Bank) के विनिवेश को लेकर रणनीति करीब-करीब तैयार हो चुकी है। आइडीबीआइ बैंक की पूरी हिस्सेदारी बिक्री को सिर्फ सरकार की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है। लेकिन अहम बात यह है कि कई राज्यों में आंशिक लॉकडाउन से आर्थिक व औद्योगिक माहौल पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा है।
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