आज चैत्र नवरात्रि (Navratri 2021) का पांचवा दिन है और इस दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के पांचवे स्वरुप मां ‘स्कंदमाता’ की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है । स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कन्दमाता (Skandata) कहा गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। मां की चार भुजाएं हैं जिसमें दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं। देवी स्कन्दमाता ने अपने एक हाथ से कार्तिकेय (Karthikeya) को अपनी गोद में बैठा रखा है और दूसरे हाथ से वह अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं। कहा गया है कि देवी स्कंदमाता की कृपा से ही कालिदास (Kalidas) द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत जैसी रचनाएं हुई हैं। मां स्कन्दमाता को वैसे तो जौ-बाजरे का भोग लगाया जाता है, लेकिन शारीरिक कष्टों के निवारण के लिए माता को केले का भी भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि संतान सुख और तीव्र बुद्धि के लिए स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है।
स्कन्दमाता का मंत्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कन्द माता का मंत्र
‘ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।’
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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