छोटी ग्वालटोली से राजस्थान की बस में भेजा रीवा-सतना के लोगों को
इंदौर। शहर में एक ओर कोरोना (Corona) के मरीज बढ़ते जा रहे हैं, वहीं इससे डरकर जो लोग बाहर से काम धंधे की तलाश में इन्दौर आए थे, वे अब इन्दौर से पलायन (Exodus) करना शुरू कर चुके हैं। इसका फायदा अब बस वाले भी उठाने लगे हैं। कल छोटी ग्वालटोली (Chhoti Gwalatoli) पर एक बस (bus) में यात्रियों को ठूंस-ठूंसकर भरकर रखा था। मालूम पड़ा कि इन्हें 4-4 हजार रुपये किराये पर रीवा-सतना ले जाया जा रहा है।
शहर में फिर पिछले साल जैसे हालात नजर आ रहे हैं। बायपास ( Bypass) पर जहां महाराष्ट्र और गुजरात की ओर से अपने घरों की ओर जाने वाले मजदूर नजर आ रहे हैं तो शहर से भी दिहाड़ी मजदूर (Laborer) और नौकरी-पेशा लोगों ने अपने-अपने घर जाना शुरू कर दिया है। लोगों को डर है कि कहीं कोरोना ज्यादा फैल गया और सम्पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) हो गया तो उनके सामने खाने-पीने की समस्या आ जाएगी। इस डर को लेकर अब प्रतिदिन यहां से हजारों की संख्या में लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। सबसे अधिक संख्या में पलायन उत्तरप्रदेश और बिहार के शहरों की ओर हो रहा है। इन्दौर में बड़ी संख्या में इन प्रदेशों में रहने वाला मजदूर वर्ग काम करने आता है। साथ ही पीथमपुर और आसपास की फैक्ट्रियों में भी यह मजूदर और कर्मचारी काम करते हैं। चूंकि अभी औद्योगिक गतिविधियां चालू है, इसलिए उद्योग के मजदूर प्रभावित नहीं हो रहे हैं, लेकिन दिहाड़ी मजदूर तो अपने घर जाने को मजबूर है। कल छोटी ग्वालटोली पर भोपाल ट्रेवल्स (Bhopal Travels) लिखी एक बस नंबर आर.जे.-09-पीए-3719 में ठसाठस मजदूर और युवा भरे हुए थे। डबल सीट पर पांच-पांच लोगों को बैठाया गया था। वहीं सीटों के बीच में भी लोगों को बैठाकर रखा था। जब उनसे पूछा कि वे कहां जा रहे हैं तो मजदूरों का कहना था कि वे अपने घर रीवा-सतना जा रहे हैं, क्योंकि यहां काम बंद हो गया है। इनमें से अधिकांश होटलों में काम करने वाले कर्मचारी भी थे। जब उनसे किराए के बारे में पूछा तो एक-एक से चार-चार हजार लिए गए हैं और सीट भी नहीं दी है। वहां खड़े कुछ लोग किराया कम करने की बहस करते हुए भी नजर आए।
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