मुस्लिम समुदाय में बहुत पवित्र माना जाने वाला रमजान का महीना शुरू हो गया है। 14 अप्रैल से रोजे (Roze) रखे जाएंगे। रमजान के महीने की शुरुआत चांद (Moon) देख कर होती है। चांद देखने के अगले दिन से रोजे रखे जाते हैं। इस महीने को बरकतों का महीना माना जाता है। मुस्लिम समाज में इसकी बहुत अहमियत है। रमजान के महीने में 29 या 30 दिन के रोजे रखे जाते हैं और इबादत (Worship) की जाती है। इस दौरान लोग पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं और कुरान मजीद की तिलावत करते हैं।
खबर के अनुसार दुनिया के अलग-अलग देशों में सुबह होने और दिन ढलने के हिसाब से सहरी और इफ्तार का समय तय होता है। इस बार सबसे लम्बा रोजा नॉर्वे के लॉन्गेयरबेन में होगा। यहां रोजाना 21 घंटे से ज्यादा का रोजा होगा। भारत में इस साल रोजे का समय 14-15 घंटे का है। सबसे छोटा रोजा अर्जेंटीना के शहर युशुआ में महज 10-11 घंटे का होगा। आइए जानते हैं रमजान से जुड़ी कुछ अन्य रोचक जानकारियां।
सहरी-इफ्तार है जरूरी
रमजान के महीने में रोजा रखना हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है, लेकिन बुजुर्ग, कम उम्र के बच्चों, बीमार लोगों और प्रेग्नेंट महिलाएं अगर रोजा रखने की ताकत नहीं रखते, तो रोजा रखना उनकी इच्छा पर है। यानी इन्हें रोजा से रियायत दी गई है। रोजा रखने के लिए सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है और फज्र की अजान के बाद नमाज अदा की जाती है। लोग कुरआन मजीद की तिलावत करते हैं। शाम को इफ्तार करके रोजा खोला जाता है।
भारत में पहले रोजे का समय
भारत में पहला रोजा 14 घंटा 8 मिनट की अवधि का है। ये इस पाक महीने का सबसे छोटा रोजा बताया जा रहा है। वहीं आखिरी रोजा 14 घंटा 52 मिनट का होगा और ये सबसे बड़ा रोजा माना जा रहा है। 14 अप्रैल को सहरी का समय 4:13 बजे तो इफ्तार का समय शाम 6: 21 बजे है।
33 साल में पूरा होता है रमजान का एक चक्र
33 साल बाद यानी साल 2054 में रमजान दोबारा 14 अप्रैल के आसपास शुरू होगा। इस्लामिक कैलेंडर हिजरी में महीने 29 और 30 दिन के ही होते हैं। इसलिए हर साल 11-12 दिन पहले होते ही रमजान की शुरुआत। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल 2025 में रमजान 28 फरवरी के आसपास शुरू होगा जबिक साल 2030 में यह 5 जनवरी के आसपास शुरू हो सकता है।
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