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    टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट से हराया जा सकता है कोरोना, करना होगा ये

  • April 14, 2021

    नई दिल्ली । कोरोना (Corona) के बढ़ते कहर (Corona’s growing) पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ( Union Health Secretary Rajesh Bhushan) ने चिंता जाहिर की है । उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम कोरोना की दूसरी लहर पर काबू नहीं पा सकते हैं। कोरोना की इस जंग में लोग सही से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग (wearing masks and social distancing) के नियमों का पालन करें। इसके अलावा राज्य टेस्टिंग Testing, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट ( Tracing and Treatment) के साथ कंटेनमेंट जोन बनाने व कोविड अनूकुल बर्ताव के प्रति जागरूक ( creating a Containment Zone) करेंगे तो निश्चित ही स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीन (Vaccine) की कमी नहीं है।

    बड़े राज्यों को चार दिन की आपूर्ति का वैक्सीन बैकअप देकर सप्लाई की जाती है और छोटे राज्यों में खपत के हिसाब से वैक्सीन की आपूर्ति की जा रही है। जिससे उनके स्टॉक में रखी वैक्सीन खराब न हो जाए।उन्होंने कहा कि 89.51 फीसदी लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं। कुल 9 फीसदी सक्रिय मामले हैं। नए मामलों को देखें तो पता चलता है कि पिछला उच्चतम आंकड़ा पार हो चुका है और इसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यही चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि 53 जिलों में केंद्री की टीमें जिला प्रशासन के साथ काम कर रही है। विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन भारत में दी जा रही हैं।

    उन्होंने महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ पंजाब, केरल, कर्नाटल राज्यों के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि यहां आरटीपीसीआर टेस्टिंग बढ़ाने के साथ-साथ टेस्टिंग बढ़ाने की भी जरूरत है। जिससे कोरोना की चेन तोड़ने के लिए टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पॉलिसी पर सही तरह से काम हो सकेगा।

    वहीं, डॉ.वीके पॉल, स्वास्थ्य सदस्य, नीति आयोग ने कहा कि देश में टीका उत्सव मनाया जा रहा है। देश में करीब 71 हज़ार टीकाकरण केंद्रों पर काम किया जा रहा है। भारत को तीसरी वैक्सीन के रूप में स्पुतनिक मिली हैं। तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक का ट्रायल 30 हज़ार लोगों पर हुआ है।

    उन्होंने बताया कि करोना महामारी में अगर किसी वैक्सीन को अमेरिका, जापान या यूरोपीय संघ के रेगुलेटर्स या विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिली हो तो उसे भारत में ट्रायल की जरूरत नहीं है। बस 7 दिनों तक उसके परिणाम पर नजर रखी जाएगी। जॉसंन, फ्राइज़र, मडोर्ना को भी भारत में आने का न्योता दिया गया है। उन्होंने कहा कि रेमेडिसविर की स्टडी की गयी है। इसे घर में या कम लक्षण वाले मामलों में प्रयोग नहीं करना चाहिए। जब व्यक्ति के शरीर में आक्सीजन की कमी हो और चिकित्सकीय परामर्श मिले तो ही इसका प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में रेमेडिसविर की कोई कमी नहीं है। लोग इसकी कमी को लेकर भ्रम न फैलाएं। अगर सभी मास्क पहने तो एकदम से करोना की लहर पर काबु पाया जा सकता है।

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