नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर लगभग पूरे देश में कहर बनकर बरस रही है। कई राज्यों में हालात और खराब हैं, जहां रोज हजारों नए कोरोना संक्रमित आ रहे हैं। इस सबके बीच एक भयावह बात ये दिख रही है कि संक्रमितों के लक्षण लगातार बदल रहे हैं। पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान कई लक्षण थे, जो क्लासिक सिंपटम की श्रेणी में थे, जैसे सर्दी-बुखार और गंध-स्वाद चला जाना। वहीं इस बार लक्षणों में इनके अलावा कई दूसरे ऐसे लक्षण भी आ गए हैं, जिनके कारण मरीज को पता नहीं ही लगता कि वो कोरोना संक्रमित है और इस तरह से संक्रमण फैलता चला जाता है।
दिख रहा आंखों में संक्रमण
पिंक आई यानी आंखों में लालिमा या गुलाबीपन को कोरोना का नया लक्षण माना जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इसका जिक्र है। इसके मुताबिक चीन में हुई एक स्टडी में पता चला कि कोरोना के मरीज की आंखें भी प्रभावित होती हैं। इसके लक्षण कंजंक्टिवाइटिस यानी आंखों के बैक्टीरियल संक्रमण की तरह दिखते हैं, जैसे आंखों का लाल होना, पानी आना, खुजली या जलन होना। ऐसे में इसे केवल आंखों की समस्या मानकर कोई ड्रॉप डालना या नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। ये कंजंक्टिवाइटिस के अलावा कोरोना संक्रमण भी हो सकता है।
बता दें कि वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है और जिसके कारण शरीर के अलग-अलग अंगों में संक्रमण दिख रहा है। इसी दौरान वायरस का हमला डायरिया, पेट में मरोड़, उल्टी लगना या पेट में तेज दर्द जैसे लक्षणों से भी संक्रमण का संकेत दे रहा है। अगर कोई पेट से जुड़ी ऐसी किसी समस्या से हाल में दो-चार हुआ हो, तो उसे ओवर द काउंटर दवा लेकर रहने की बजाए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कानों में तेज दर्द
सर्दी-बुखार ही नहीं, अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम पर असर का नतीजा कानों में दर्द के रूप में भी दिखता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑडियोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का नया वेरिएंट कानों की समस्या को ट्रिगर करता दिख रहा है। जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार कानों में दर्द या सुनाई देने में एकाएक समस्या का आना, जैसे लक्षण एक-दो नहीं, बल्कि लगभग 56 प्रतिशत नए मरीजों में दिखे।
मरीज भूलने लगते हैं
ब्रेन फॉग। ये शब्द कई बार गर्भवती महिलाओं के बारे में डॉक्टर कहते हैं। वैसे तो ये तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्या है, जो महिलाओं में गर्भधारण के दौरान या उसके बाद हॉर्मोन्स में उतार-चढ़ाव के कारण दिखती है। हालांकि कोरोना के मरीजों में इसका ताल्लुक सीधा तंत्रिका तंत्र से है। medRxiv की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय तक कोरोना से बीमार रहने वालों में ब्रेन फॉग की परेशानी दिख रही है यानी वे मतिभ्रम का शिकार होते हैं और मामूली बातें भी भूलने लगते हैं। इसका असर स्थाई होता है या अस्थाई, इस बारे में फिलहाल स्टडी हो रही है।
सीने में दर्द और बेचैनी कोविड भी हो सकती है
कोविड-19 का म्यूटेशन दिल की समस्याएं को भी जन्म देता दिख रहा है। अमेरिकी साइंस मैगजीन जामा कार्डियोलॉजी (JAMA Cardiology) में छपी स्टडी में इसका जिक्र है, जिसके अनुसार लगभग 78 प्रतिशत तक कोरोना के मरीज या इससे रिकवर हो चुके लोगों में कार्डियक समस्याएं देखी गईं। इनमें से 60 प्रतिशत लोगों में मायोकार्डिअल इनफ्लेमेशन दिखा, जिसके लक्षण दिल के दौरे से मिलते-जुलते हैं, जैसे सीने में दर्द, थकान, सांस फूलना।
अलग-अलग संकेत दे रहा
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना का नया वेरिएंट शरीर पर अलग-अलग तरीके से हमला कर रहा है। नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है और श्वसन तंत्र पर तेजी से कब्जा कर पाता है। इससे सिरदर्द जैसी समस्याएं भी दिख रही हैं, जो कि पहले नहीं दिखी थीं। यही कारण है कि कोरोना के पुराने लक्षणों से मिलान करने पर संक्रमित भी धोखे में खुद को स्वस्थ मान बैठते हैं और जांच नहीं कराते। इससे संक्रमण की रफ्तार और बढ़ी है।
क्या थे पुराने मरीजों में लक्षण
पिछले यानी सबसे शुरुआती वेरिएंट के कारण मरीज में बुखार, सर्दी-खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षण दिखते थे। साथ में कई मरीजों में स्वाद और गंध की क्षमता अस्थायी तौर पर खत्म हो जाती थी। समय के साथ दवा लेने पर ये लक्षण ठीक हो जाते थे। आगे चलकर पैरों की अंगुलियों पर लाल या बैंगनी चकत्ते जैसे लक्षण भी दिखे। वहीं ज्यादातर मरीजों में बेचैनी और थकान थी।
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