बर्लिन । Covid-19 को लेकर एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि कोरोना की दूसरी लहर (Second wave of corona) में बच्चों में संक्रमण का खतरा ( Higher Risk of Infection in Children) अधिक है. जर्नल मेड में प्रकाशित अध्ययन (Journal med published study) से पता चला है कि कुल मिलाकर दूसरी लहर Second wave of coronavirus(जनवरी फरवरी 2021) के अंत में एंटीबॉडी फ्रीक्वेंसी पहली लहर First wave coronavirus(अप्रैल से जुलाई 2020) के अंत की तुलना में लगभग आठ गुना अधिक रही. जर्मनी में प्री-स्कूल स्कूली बच्चे कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान पीसीआर परीक्षण (PCR test) में तीन से चार गुना अधिक संक्रमित पाए गए हैं. प्री-स्कूल के बच्चों (pre-school children) में अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 तक 5.6 प्रतिशत एंटीबॉडी फ्रीक्वेंसी दर्ज की गई थी. वहीं स्कूली बच्चे, जिनका नवंबर 2020 फरवरी 2021 के बीच परीक्षण किया गया, उनमें यह आंकड़ा 8.4 प्रतिशत देखने को मिला.
हेल्महोल्ट्ज जेंट्रम मुनचेन(Helmholtz Gentrum München), जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल हेल्थ (German Research Center for Environmental Health), म्यूनिख-न्यूरहैबर्ग(Munich-Neuhrberg), जर्मनी से एनेट-गैब्रिएल जिगलर ( Germany Annette-Gabrielle Ziegler) ने कहा, ‘बच्चों में अक्सर वयस्कों की तुलना में संक्रमित होने की संभावना कम ही मानी जाता है. हालांकि, इस धारणा को लेकर डेटा भिन्न है. हमारे अध्ययन के परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि प्री-स्कूल स्कूली दोनों बच्चे सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील हैं.’
उन्होंने कहा कि इस जनसंख्या समूह में संक्रमण को बेहतर नियंत्रण के लिए स्कूलों अन्य जगहों पर वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय सहायक हो सकते हैं. दूसरी लहर में पॉजिटिव पाए जाने वाले 446 बच्चों में, लक्षणों के बिना एंटीबॉडी-पॉजिटिव बच्चों का अनुपात प्री-स्कूलर्स में 68 प्रतिशत दर्ज किया गया. वहीं, प्री-स्कूल के बाद सामान्य कक्षा के साथ स्कूल जाने वाले बच्चों में यह 51.2 प्रतिशत दर्ज किया गया.
बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के शुरुआती चरण की पहचान करने के लिए बावरिया में जिगलर की अगुवाई में स्क्रीनिंग स्टडी एफआर1एडीए का हिस्सा थे. स्टडी के दौरान बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज कोविड-19 के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया. वसंत 2020 में जर्मनी में पहली लहर के दौरान, टीम ने अध्ययन में हिस्सा लेने वाले बच्चों में एक सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी 0.87 प्रतिशत पाया था. शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका मतलब यह है कि बावरिया में छह गुना अधिक बच्चे पीसीआर परीक्षणों में कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं.
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