नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी (Union Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare Kailash Chaudhary) ने शहद एवं मधु उत्पादों के स्त्रोत की ट्रेसीबिलिटी एवं डिजिटलीकरण (Traceability and digitization of sources of honey and honey products) के लिए तैयार किये गए “मधुक्रान्ति पोर्टल” के शुभारंभ कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि श्वेत क्रांति, हरित क्रांति, नीली क्रांति के बाद हमारे देश को ‘मधु क्रांति’ की जरूरत है। देश में शहद उत्पादन बढाने पर जोर देने के लिए ‘मधु क्रांति’ रणनीतिक कदम है, जो किसानों की आय को दोगुना करने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे आय में वृद्धि के साथ के साथ ही फसलों का उत्पादन भी 15 प्रतिशत तक बढ जाएगा।
कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि देश में सालाना 1.20 लाख टन शहद का उत्पादन होता है और इसे अगले पांच साल में इसे डबल करने की योजना बनी है। इस समय लगभग 10 हजार रजिस्टर्ड किसान 15 लाख मधुमक्खियों की कॉलोनी बनाकर शहद उत्पादन कर रहे हैं। दुनिया भर में शहद बनाने वालों में भारत टॉप फाइव में है। इसे तेजी से बढ़ाने की दिशा में किसान और केंद्र सरकार तेज गति से काम कर रहे है। कैलाश चौधरी के अनुसार ’30 लाख किसानों को एपिकल्चर की ट्रेनिंग दी है, जो भी अपना काम बड़ा करना चाहता है उसे हम हर संभव मदद के लिए तैयार है, हनी मिशन प्रधानमंत्री के दिल के करीब है, इससे कोआपरेटिव या सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से भी किया जा सकता है इससे बड़ी मात्रा में रोज़गार पैदा होने की क्षमता है।’
केंद्रीय कृषि ने कहा कि हमने अपने शहद को ढंग से पहचाना नहीं है। अलग-अलग फूलों का शहदअलग अलग स्वाद में रहता है और उसकी प्रकृति भी अलग अलग होती है। वहीं मैदानी भागों का शहद और पहाड़ी भाग के शहद की प्रकृति अलग होती है। हाई एल्टीट्यूड के शहद की विश्व में ऐसी मांग है कि वो साधारण से कई महंगा बिकता है। शहद में इतनी ताकत है कि वो किसानों मुनाफा ही मुनाफा दे सकता है। इकोसिस्टम को देखा जाए तो मधुमक्खियां इंसान के जीवन के लिए जरूरी है, हम मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहे हैं साथ ही साथ लोगों को रोजगार देने के लिए हम किसानों को बी-बॉक्सेस बांट रहे हैं, पिछले तीन साल में हमने खादी ग्रामोद्योग के तहत 1.33 बी बॉक्स बांटे हैं और 13,466 किसानों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी है।
शहद का निर्यात बढ़ा रही है केंद्र सरकार :
कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि शहद का उत्पादन बढ़ाकर निर्यात में वृद्धि की जा सकती है, रोजगार बढ़ाए जा सकते हैं, वहीं गरीबी उन्मूलन की दिशा में भी बेहतर काम किया जा सकता हैं। मधुमक्खीपालन, मत्स्यपालन व पशुपालन के माध्यम से हम भूमिहीन किसानों को गांवों में ही अच्छा जीवन जीने का साधन दे सकते हैं। शहद उत्पादन के लिए एक तरह से प्रतिस्पर्धा होना चाहिए। नाफेड ने शहद की मार्केटिंग की कमान संभाली, यह शुभ संकेत हैं। इसके माध्यम से दूरदराज के मधुमक्खीपालकों को अच्छा मार्केट मिलना चाहिए। देश में उत्पादन क्षमता से अधिक संभव है, पर क्वालिटी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। मधुमक्खी पालन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए सरकार की विभिन्न पहलें मधुमक्खीचपालन का कायाकल्प करने में मदद कर रही हैं, जिसके परिणामस्व्रूप प्रत्येाक वर्ष लगभग 1.20 लाख टन शहद का उत्पांदन देश के ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से किया जा रहा है। इसका लगभग 50 प्रतिशत निर्यात किया जाता है। शहद व संबंधित उत्पादों का निर्यात बढ़कर करीब दोगुना हो चुका है। (एजेंसी, हि.स.)
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