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    प्रदोष व्रत में भगवान‍ शिव को ऐसे करें प्रसन्‍न, दांपत्‍य जीवन होगा खुशहाल

  • April 08, 2021

    हिंदु धर्म में धार्मिक त्‍योहारों का व व्रत का विशेष महत्‍व (Special importance) है हर एक धार्मिक त्‍यौहार बड़े ही श्रद्वाभाव के साथ मनाया जाता है । अब 9 अप्रैल 2021 यानि कल चैत्र मास का प्रथम प्रदोष व्रत (First Pradosh fast) है। धार्मिक मान्‍यता के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी (Trayodashi) की तिथि को मनाया जाता है। शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत (shukr pradosh vrat) भी कहा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ माता पार्वती और संपूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत दांपत्य जीवन में भी खुशियां लाता है।



    प्रदोष व्रत का महत्व:
    प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सभी दोषों का निवारण होता है। व्रत को विधि-विधान के साथ करने पर शिवजी (Shiva) अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और उनपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। इस तिथि पर केवल शिवजी की ही नहीं बल्कि चंद्रदेव की भी अराधना की जाती है। पौराणिक कथाओं (Mythology stories) के अनुसार, सबसे पहला प्रदोष व्रत चंद्रदेव ने ही रखा था। इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव (Lord Shiva) प्रसन्न हुए थे और चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्त किया था।

    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
    पूजा का समय: 9 अप्रैल की शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 12 मिनट तक
    ब्रह्म मुहूर्त- 9 अप्रैल सुबह 04:19 बजे से 10 अप्रैल सुबह 04:05 तक
    अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक
    विजय मुहूर्त- दोपहर 02:17 बजे से दोपहर 03:07 बजे तक

    प्रदोष व्रत की विधि
    प्रदोष व्रत की पूजा थाली में भगवान शिव की प्रिय चीजों का सजाया जाता है। पूजा की थाली में पुष्प, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान, अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, धतूरा, बेलपत्र, कपूर रखे जाते हैं।
    प्रदोष व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है। कुछ स्थानों पर इस व्रत को निर्जला रखने की भी परंपरा है। प्रदोष व्रत में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही स्वच्छता का भी विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत पूरे दिन रखा जाता है और इस व्रत में फलाहार किया जाता है। उपवास के दौरान गलत विचारों से दूर रहा जाता है और भगवान शिव (Lord Shiva) का स्मरण किया जाता है। भोजन में नमक, मिर्च का सेवन न करें।

    नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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