मास्को। रूस (Russia) ने कहा है कि डॉलर(Dollar) एक जोखिम भरी मुद्रा (Currency) बनता जा रहा है। उसने आरोप लगाया कि इसकी वजह यह है कि अमेरिका (America) अपने विदेश नीति (Foreign Policy) संबंधी मकसदों को हासिल करने के लिए लगातार अपनी मुद्रा (Currency) का इस्तेमाल कर रहा है। इससे डॉलर(Dollar) में अंतरराष्ट्रीय लेन-देन (International Transaction) करना जोखिम भरा हो गया है। रूस की इस टिप्पणी को बहुत अहम समझा जा रहा है। चीन साथ मिल कर रूस अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की वैकल्पिक मुद्रा तैयार की कोशिश में जुटा हुआ है। उसके ताजा बयान को उसी सिलसिले में देखा जा रहा है।
रूस के विदेश उप मंत्री एलेक्सांद्र पैनकिन ने न्यूज एजेंसी आरआईए नोवोस्ती को दिए इंटरव्यू में कहा कि हाल की घटनाओं के कारण डॉलर में भरोसा कमजोर हुआ है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि अमेरिका ने दूसरे देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपनी मुद्रा की हैसियत का इस्तेमाल किया है। साथ ही अमेरिका की आर्थिक नीति अस्थिर बनी हुई है। उन्होंने कहा- ‘इससे अंतरराष्ट्रीय सौदों में डॉलर की विश्वसनीयता और इसके सुविधाजनक होने की मान्यता पर सवाल उठा है।’ पैनकिन ने कहा कि इसी कारण अब कई देश ऐसे कदम उठाने को मजबूर हुए हैं, जिससे वे आर्थिक नुकसान और अपने लेन-देन में रुकावट से बच सकें। अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार में दूसरी मुद्राओं का उपयोग पर विचार करना अधिक से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
रूस पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुका है कि वह अंतरराष्ट्रीय भुगतान की प्रणाली स्विफ्ट का विकल्प तैयार करने पर विचार कर रहा है। स्विफ्ट का संचालन अमेरिका के हाथ में है। दुनिया भर में जो मौद्रिक लेन-देन होता है, उसका सबसे बड़ा हिस्सा इसी सिस्टम के जरिए होता है। 200 से ज्यादा देश स्विफ्ट से जुड़े हुए हैं। इस वजह से अमेरिका अगर किसी देश पर प्रतिबंध लगाता है, तो वह स्विफ्ट के जरिए उसके लेन-देन को रोक देता है। इस तरह अमेरिकी प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध बन जाता है। हाल के वर्षों में रूस और ईरान को ऐसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।
इसलिए हाल में रूस में ये चर्चा तेज रही है कि रूस को स्विफ्ट से नाता तोड़ लेना चाहिए। साथ ही उसे अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए अलग सिस्टम कायम करने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ रोज पहले क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय) के प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका की कार्रवाइयां विवेकहीन रही हैं, जिनका पहले से अनुमान लगाना संभव नहीं होता। इसलिए अब रूस को आगे सतर्क रहना होगा।
पिछले महीने अपनी चीन यात्रा के दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि अमेरिका ने रूस और चीन के तकनीकी विकास की संभावनाओं को सीमित करने को अपना मकसद बना लिया है। इसलिए ये दोनों देश आपसी व्यापार में अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान करने और वैश्विक व्यापार में डॉलर के विकल्प के रूप में अन्य मुद्राओं का उपयोग करने का रास्ता अपना सकते हैँ। उसी दौरान लावरोव ने एलान किया था कि रूस और चीन रूसी वित्तीय व्यवस्था एसपीएफएस को विस्तृत करने के लिए सहयोग करने पर तैयार हो गए हैँ। उन्होंने कहा कि ये व्यवस्था स्विफ्ट के प्रतिस्पर्धी सिस्टम के रूप में उभर सकती है।
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